भारतीय रिजर्व बैंक ने ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश लिक्विडिटी कवरेज रेशियो, रिस्क मैनेजमेंट, एसेट क्लासिफिकेशन और लोन टू वैल्यू रेशियो सहित अन्य चीजों से संबंधित हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि ये दिशा-निर्देश तत्काल प्रभावी हो गए हैं। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि HFCs इस प्रकार कामकाज ना करें कि निवेशक और जमाकर्ता के हितों को किसी तरह का नुकसान हो।
अगर किसी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी के कुल एसेट में से कम-से-कम 60 फीसद हिस्सा हाउसिंग सेक्टर को लोन उपलब्ध कराने में जाता हो तो उसे एचएफसी कहते हैं। आरबीआई ने कहा है कि HFCs को लिक्विडिटी कवरेज रेशियो के संदर्भ में एक लिक्विटी बफर मेंटेन करना होगा। इससे भविष्य में नकदी से जुड़ी किसी तरह की समस्या आने पर उन्हें इस फंड से मदद मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक देश के बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए लगातार कदम उठाता रहा है। कोविड-19 के बाद पर्याप्त लिक्विडिटी को सुनिश्चित करने के लिए भी उसने कई सारे ऐसे कदम उठाए हैं।