सऊदी अरब और भारत जल्द ही द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास करने जा रहे हैं। यह अब तक के इतिहास में इन दोनों देशों के बीच पहला युद्धाभ्यास होगा। आज से पहले सऊदी अरब अपनी सेना को युद्ध की बारीकियां सिखाने के लिए पाकिस्तान और अमेरिका के भरोसे रहता था। लेकिन, मोदी सरकार की विदेश नीति और हाल में ही भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की रियाद यात्रा के बाद सऊदी अरब की विदेश नीति में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।
WION की रिपोर्ट के अनुसार, यह युद्धाभ्यास सऊदी अरब में आयोजित किया जाएगा। इसके लिए भारतीय सेना का एक दल कुछ महीने में सऊदी अरब के दौरे पर जा सकता है। इस युद्धाभ्यास से न केवल सऊदी अरब की सेना की ताकत में इजाफा होगा, बल्कि खाड़ी के देशों में रणनीतिक हालात में भी बड़ा बदलाव होगा। पिछले साल के अंतिम महीने में भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और सऊदी अरब के ऐतिहासिक दौरे पर पहुंचे थे।
यह भारत के किसी भी सेना प्रमुख का सऊदी अरब और यूएई का पहला दौरा था। इस दौरान उन्होंने न केवल दोनों देशों के सेना प्रमुखों से मुलाकात की, बल्कि यहां के बड़े स्तर के कई नेताओं के साथ भी बैठकें की थी। यही कारण है कि सऊदी अरब ने भारत के साथ युद्धाभ्यास करने का निर्णय लिया है। सऊदी अरब का भारत के साथ सैन्य संबंध बढ़ाना सीधे तौर पर पाकिस्तान के लिए तगड़ा झटका है। अबतक पाकिस्तान अपनी सेना का लालच देकर ही सऊदी अरब से खैरात पाता था।