पुणे के एल्गार परिषद में शरजील उस्मानी द्वारा दिए गए विवादित बयान को लेकर राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार पर भाजपा ने एक बार फिर निशाना साधा है. सरकार को शरजील उस्मानी सरकार बताते हुए बुधवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष नेता देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि एल्गार परिषद में हिन्दू समाज को लेकर विवादित बयान देने वाले शरजील उस्मानी की गिरफ्तारी में देरी क्यों हो रही है. सरकार पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार शरजील को क्यों गिरफ्तार नहीं कर रही है। उस्मानी को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए फड़नवीस ने यह शरजील की सरकार है. कृषि कानून को लेकर पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, लता मंगेशकर सहित कई अन्य मशहूर हस्तियों द्वारा किए गए ट्वीट की जांच की घोषणा करने वाली सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि जांच की मांग करने वालों और मांग को मंजूरी देने वाले दोनों का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है।
शरजील उस्मानी को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर बुधवार को दादर शिवाजी पार्क से बांद्रा स्थित मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के निवास स्थान तक पैदल मार्च निकालने वाले उत्तर भारतीय मोर्चा के अध्यक्ष सहित पदाधिकारियों को आंदोलन से पहले घर से पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इस पर फड़नवीस ने कहा कि यह सब से बड़ा आश्चर्य है। करोड़ो हिन्दू समाज की भावनाओ के साथ खिलवाड़ करने वाला शरजील उस्मानी को सरकार गिरफ्तार नहीं कर रही है लेकिन उसे गिरफ्तारी की मांग कर रहे है उसे पुलिस घर से गिरफ्तार किया है. मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा ने नहीं किया था वादा विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना द्वारा बार-बार भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाने के जवाब में फड़नवीस ने कहा कि इस विषय पर देश के गृहमंत्री और चुनाव के दौरान तत्कालीन पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है लेकिन फिर भी मै शिवसेना से कहना चाहता हूँ कि साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना की युति के दौरान भाजपा ने कोई मुख्यमंत्री का वादा नहीं किया था।
सर्वसम्मति से हो नए विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव
नाना पाटोले के इस्तीफे के बाद रिक्त हुई विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर फड़नवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में परंपरा रही है कि विधानसभा अध्यक्ष को सर्वसम्मति से चुना जाता है। लेकिन विधानसभा में विपक्ष के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, यह सरकार की भूमिका पर निर्भर करता है. चाहे सरकार विपक्ष के साथ बातचीत करे या नहीं लेकिन हम दोस्तों के साथ चर्चा करने के बाद कोई निर्णय लेंगे।