प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब दिया। कोरोना का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया एक बड़े संकट से जूझ रहे हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण का विपक्ष द्वारा बहिष्कार करने पर प्रधानमंत्री ने उन पर निशाना साधा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने अपनी युवा पीढ़ी को सिखाया नहीं कि ये देश लोकतंत्र की जननी है।
हमें ये बात नई पीढ़ी को सिखानी है। उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र 'सत्यम, शिवम, सुंदरम पर आधारित है। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उनकी बात याद दिलाते हुए कहा कि आपने जो कहा था उसे मोदी कर रहा है, इस पर गर्व कीजिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें आंदोलनजीवियों से बचने की जरूरत है। ये लोग हर आंदोलन में दिखाई दे जाते हैं। उन्होंने कहा कि देश को अस्थिर करने वालों से भी हमें बचना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन में किसान आंदोलन को लेकर काफी चर्चा हुई, लेकिन कोई सांसद यह नहीं बता पाया कि आंदोलन क्यों हो रहा है। उन्होंने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसपी था, है और भविष्य में भी रहेगा।
देश को नई 'एफडीआई' से बचना होगा
प्रधानमंत्री मोदी ने टूलकिट के बहाने देश को नई एफडीआई से बचने को कहा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि देश को नई एफडीआई से बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नई एफडीआई यानि कि फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी (विदेशी विनाशकारी विचारधारा) है। हमें एफडीआई की पुरानी परिभाषा यानि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को ही बरकरार रखना है।
किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील
प्रधानमंत्री ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमें आंदोलनकारियों को समझाते हुए आगे बढ़ना होगा, गालियों को मेरे खाते में जाने दो लेकिन सुधारों को होने दो। बुजुर्ग आंदोलन में बैठे हैं, उन्हें घर जाना चाहिए। आंदोलन खत्म करें और चर्चा आगे चलती रहेगी।
गुलाम नबी आजाद की तारीफ करते हुए कांग्रेस के जी-23 पर पीएम का कटाक्ष
मोदी ने सदन में कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद गुलाम नबी आजाद पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि गुलाम नबी जी ने कई मसलों पर सरकार की प्रशंसा की, लेकिन मुझे डर है कि उनकी पार्टी इसे जी-23 के संबंध में ना ले ले। वहीं एलएसी को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि मुश्किल परिस्थितियों में जवानों ने अपना काम किया और हर तरह की चुनौतियों का सामना किया। भारत का एलएसी पर रुख पूरी तरह से स्पष्ट है।
आंदोलनजीवी और परजीवी से बचे देश
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ सालों में एक नई जमात सामने आई है, जो आंदोलनजीवियों की है। वकीलों का आंदोलन हो, छात्रों का आंदोलन हो, ये सब जगह पहुंच जाते हैं। देश को इन आंदोलनजीवियों से बचाने की जरूरत है। ये आंदोलनजीवी ही परजीवी हैं। हमें देश को इससे बचाना होगा।
अच्छे काम होने दीजिए, गाली देना है तो मेरे खाते में देते रहिए, मोदी है मौका लेते रहिए..
प्रधानमंत्री ने कृषि सुधारों पर कहा कि अच्छे काम होने दीजिए और जो गालियां हैं उन्हें मेरे खाते में आने दीजिए। उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ कई टिप्पणियां कीं, मैं आपके काम आया, ये मैं अपना सौभाग्य मानूंगा, ये आनंद आप लगातार लेते रहिए और मोदी है तो मौका लीजिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को सिखों के योगदान पर बहुत गर्व है। यह एक ऐसा समुदाय है, जिसने राष्ट्र के लिए बहुत कुछ किया है। गुरु साहिबों के वचन और आशीर्वाद अनमोल हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब के साथ क्या हुआ। इसे विभाजन के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। यह 1984 के दंगों के दौरान सबसे ज्यादा रोया था। वे सबसे दर्दनाक घटनाओं के शिकार हुए। जम्मू-कश्मीर में मासूमों की हत्या कर दी गई।