डॉक्टरों के राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association यानी IMA) ने बुधवार को कोरोना से मरने वाले चिकित्सकों की संख्या के बारे में केंद्र सरकार की ओर से दी गई जानकारी पर हैरानी जताई। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association यानी IMA)के अध्यक्ष जेए जयलाल (JA Jayalal) ने कहा कि केंद्र की ओर से जारी आंकड़ों में विरोधाभास है। देश में कोरोना से 744 डॉक्टरों की मौत हुई है।
दरअसल, स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मंगलवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि कोरोना से देश में 162 डॉक्टरों, 107 नर्सों और 44 आशा कार्यकर्ताओं की मौत हुई है। चौबे ने यह भी बताया कि यह आंकड़े 22 जनवरी तक राज्यों से मिली सूचनाओं पर आधारित हैं। स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे से पूछा गया कि क्या मंत्रालय ने कोरोना से जान गंवाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के बारे में भारतीय चिकित्सा संघ द्वारा दिए गए आंकड़ों पर संज्ञान लिया है।
सवाल में पूछा गया था कि क्या सरकार की ओर से इनके सत्यापन के लिए कोई प्रयास किए गए हैं। इस पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा था कि कोरोना से जान गंवाने वाले व्यक्ति के सत्यापन की जिम्मेदारी राज्य सरकार या केंद्र सरकार के संबद्ध प्राधिकारियों की है। कोविड से मौत का सत्यापन वह स्वास्थ्य संस्थान या संस्थान या कार्यालय करता है जहां पीड़ित काम करता था। इसके बाद संबद्ध प्राधिकारी उसे आगे बढ़ाते हैं। दावे को बीमा कंपनी के समक्ष पेश करते हैं।
समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक चौबे को लिखे पत्र में आईएमए अध्यक्ष जेए जयलाल ने कहा कि केंद्र की ओर से जारी आंकड़ों में विरोधाभास है। कोरोना की वजह से 744 डॉक्टरों की मौत हुई है। कोरोना जैसी महामारी के दौरान डॉक्टरों ने चिकित्सा पेशे की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं में राष्ट्र की सेवा करने का विकल्प चुना था। आईएमए अध्यक्ष ने सरकार के आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए सरकारी उदासीनता की निंदा की। साथ ही कोरोना पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजा देने में देरी का मसला भी उठाया।