सरकार इस बजट में दर्जनों प्रोडक्ट पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा सकती है। इससे इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल प्रोडक्ट महंगे हो सकते हैं। इसमें ऑटो के सामानों पर भी ड्यूटी बढ़ने की आशंका है। सरकार लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए ऐसा रास्ता अपना रही है।
सूत्रों के मुताबिक आयातित सामानों पर जो ड्यूटी बढ़ाई जाएगी, उसका असर कुछ अरब डॉलर पर ही होगा। इससे देश में सालाना आयात में भी कमी आएगी। वित्त वर्ष 2020 में कुल 475 अरब डॉलर के सामानों का आयात देश में हुआ था। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पूरी तरह से लोकल बाजार या कंपनियों को बढ़ावा देने की योजना है। जिन सामानों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ेगी उसकी फाइनल लिस्ट तैयार हो चुकी है। हालांकि सरकार इसे आयात को कम करने के लिए नहीं कर रही है। सरकार की योजना उन कुछ गिने-चुने प्रोडक्ट पर ही ड्यूटी बढ़ाने की है जिनसे लोकल कंपनियां या मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित हो रहे हैं। इसी तरह कुछ मामलों में तैयार प्रोडक्ट की तुलना में रॉ मटेरियल पर ड्यूटी ज्यादा लगाए जाने की योजना है। इससे पहले इंडस्ट्री ने ऐसे करीबन 1,173 आइटम की पहचान की थी जिन पर ड्यूटी को जीरो करने की बात कही गई थी। इसमें ऑटो के सामान, एसी के कंप्रेसर और रेफ्रिजरेटर आदि थे। इसके स्टील और अल्यूमिनियम प्रोडक्ट और इलेक्ट्रिकल मशीनरी पर ड्यूटी बढ़ाए जाने की उम्मीद है। ये सभी आइटम ज्यादातर चीन से आते हैं। इसे हालांकि देश में बनाया जा सकता है। वित्त वर्ष 2019 में 12 अरब डॉलर के इस तरह के प्रोडक्ट का आयात किया गया था। हालांकि देश के कुल आयात में इनकी हिस्सेदारी महज 2.3 पर्सेंट थी। हालांकि पिछला बजट आने से पहले ही कॉमर्स एवं इंडस्ट्री मंत्रालय ने यह सुझाव दिया था कि कम से कम 300 सामानों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी जाए। इन सामानों में चप्पल-जूते, फर्नीचर, टीवी के सामान, केमिकल और खिलौने शामिल थे।