अपने खर्च पर कंट्रोल न लगाकर साथ ही उद्योगपतियों को छूट दे कर मुंबई मनपा कर्ज की ओर जा रही है। मनपा में भाजपा नेता प्रभकार शिंदे ने मनपा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए मनपा मुख्यालय में पत्रकार सम्मेलन में कहा कि मनपा की कमाई घटती जा रही है, लेकिन फिजूलखर्ची पर लगाम नही लगा पा रही है। पत्रकार सम्मलेन में भाजपा मनपा प्रवक्ता भालचंद्र शिरसाट एवं मनपा उपनेता कमलेश यादव भी मौजूद थे।
शिंदे ने मनपा के कामकाज पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि कोरोना काल में मनपा का खर्च पहले ही बढ़ा है। लेकिन इस बीच मनपा उद्योगपतियों को छूट देने के चक्कर में अपनी और लुटिया डुबो रही है। मनपा का वर्ष 2020 -21 में कुल अनुमानित कमाई का मात्र 25 प्रतिशत आय अभी तक हो पाई है। मनपा के मुख्य कमाई का स्रोत प्रॉपर्टी टैक्स में तो इस साल अभी तक मात्र 14 प्रतिशत ही कमाई हो पाई है। मनपा को एक मात्र राज्य सरकार से जीएसटी का मिलने वाला अनुदान पूरा मिला है लेकिन कोरोना पर हुए 2100 करोड़ खर्च मनपा का पूरी तरह बजट बिगाड़ दिया है। भाजपा का आरोप है कि वर्ष 2020-21 के बजट में 65.2 करोड़ सरप्लस बजट को 2579.66 करोड दिखाया गया। अगस्त में कमाई में किसी तरह की बढ़ोत्तरी न होने और कोरोना का खर्च होने के बावजूद 2579,66 करोड़ का सरप्लस कहा से आया? इसके बावजूद मनपा अनाप-सनाप पैसा लुटाने में जुटी है। सत्ताधारी शिवसेना ने पानी का टैक्स बढ़ाया।
प्रॉपर्टी टैक्स में 500 वर्ग फुट से छोटे घरों को पूरी तरह छूट देने का मात्र सपना दिखाया गया। बिल्डरों की यह सरकार बिल्डरों को प्रीमियम में 50 प्रतिशत की छूट दी, जिसका आम नागरिकों को कोई फायदा नही मिलने वाला है। लेकिन इसके विपरीत होटल मालिकों को छूट दी गई, होर्डिंग व्यवसाइयों को छूट दी गई। जबकि आम जनता की जेब पर बोझ डाला गया। गरीब फेरीवालों का कोरोना काल मे धंधा चौपट होने के बावजूद उन्हें लाइसेंस में छूट तो दूर शुल्क बढ़ा दिया गया। मनपा अब कमाई घटने से पूरी तरह बेस्ट की राह पर चल चुकी है और कर्ज में जाने की राह पर चली गई है।