2020 में जब दुनिया पर कोविड-19 का कहर बरप रहा था, तब भारत के एक कारोबारी घराने के दो वेंचर पर निवेश की बारिश हो रही थी। निवेशकों की नजर महामारी के डर और लॉकडाउन के चलते घरों में बंद लोगों की बुनियादी जरूरतों और बाहरी दुनिया से संपर्क के साधन से मिलने वाले मौके पर थी। बुनियादी जरूरतें किराने की थीं और संपर्क का साधन टेलीकम्युनिकेशन था। इस बीच जिन दो वेंचरों पर निवेश झमाझम बरस रहा था, वो थीं रिलायंस जियो और रिलायंस रिटेल।
बरसों से स्ट्रैटेजिक डायवर्सिफिकेशन की कोशिश में जुटे रिलायंस इंडस्ट्रीज को महामारी ने बड़ा मौका दिया था। उसको सिलिकॉन वैली से कुल 27 अरब डॉलर (1,97,415 करोड़ रुपये) का निवेश मिला, जिसकी शुरुआत मार्च में फेसबुक से मिले 5.7 अरब डॉलर (41,677 करोड़ रुपये) से हुई थी। निवेशकों की सूची में सिल्वर लेक पार्टनर, जनरल अटलांटिक, टीपीजी कैपिटल जैसे फाइनेंशियल इनवेस्टर और फिर क्वॉलकॉम, इंटेल और गूगल का भी नाम आ गया। सबका निवेश रिलायंस के टेलीकॉम वेंचर जियो में आया था। जियो में इतना निवेश होने की वजह क्या थी, आम जन के मन में यह सवाल जरूर उठेगा। जवाब है 40 करोड़ सब्सक्राइबर का जियो का यूजर बेस, अपना खूब सारा पैसा और दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा आबादी वाला बाजार।