नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली 14 से 16 जनवरी तक भारत की यात्रा पर रहेंगे। यात्रा के दौरान वह 6 वें भारत - नेपाल संयुक्त आयोग की बैठक में भाग लेंगे और भारतीय समकक्ष डॉ एस जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे।
वहीं, इस बीच नेपाल में आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को एक ओर जहां भारत के साथ संबंधों को 'बहुत अच्छा' बताया, तो चीन को सख्त लहजे में संदेश दिया कि वो किसी और के आदेश को नहीं मानता है। बता दें कि बीते कुछ समय से नेपाल की राजनीति में चीन के हस्तक्षेप बढ़े हैं। हालांकि, नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सख्त लहजे में कहा कि हम अपनी स्वतंत्रता से प्यार करते हैं, हमें अपनी स्वतंत्रता पसंद है। हम दूसरों के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं ... हम अपने मामलों पर स्वतंत्र रूप से निर्णय लेते हैं। हम बाहरी हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं।
ओली ने यह बातें एक साक्षात्कार में कही। भारतीय चैनल के इस साक्षात्कार को द काठमांडू पोस्ट की वेबसाइट ने प्रकाशित किया है और शीर्षक दिया है - क्या ओली ने एक तीर से दो शिकार किए? नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने साक्षात्कार के दौरान कहा कि वर्ष 2021 एक ऐसा साल होगा, जब हम यह घोषणा कर सकते हैं कि नेपाल और भारत के बीच कोई समस्या नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि नेपाल के भारत के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं।
दोनों देशों के बीच ये संबंध पहले जितने बेहतर हैं। इसके अलावा, ओली ने सख्त लहजे में कहा कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल के हैं और नेपाल और भारत के बीच यह एकमात्र 'छोटी' समस्या है।