अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा है कि विदेश विभाग ताइवान के साथ राजनयिक स्तर पर और अन्य स्तर पर संपर्क स्थापित करने पर लगे प्रतिबंधों को समाप्त कर रहा है। अमेरिका द्वारा ताइवान के संदर्भ में उठाए गए इस कदम से चीन का आगबबूला होना तय है और बीजिंग और वाशिंगटन के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है। ट्रंप प्रशासन ने यह कदम तब उठाया है जब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति 20 जनवरी को नए राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं।
ताइवान पर दावा ठोंकता है चीन
दरअसल, चीन सरकार का दावा करती रही है ताइवान उसका ही एक हिस्सा है और उसे एक बार फिर से बीजिंग के साथ जोड़ा जाना चाहिए। भले ही इसके लिए बल प्रयोग करना पड़े। जबकि ताइवान के नेता हमेशा यह कहते रहे हैं कि वह एक संप्रभु देश है। चीन अपनी राजनयिक ताकत का इस्तेमाल कर ताइवान को ऐसे किसी भी संगठन में शामिल होने से रोकता है जिसकी सदस्यता के लिए देश का दर्जा होना जरूरी है।
पोंपियो ने किया एलान
ताइवान को विश्वसनीय और अनौपचारिक साझेदार बताते हुए पोंपियो ने शनिवार को कहा, 'आज मैं एलान कर रहा हूं कि मैं (ताइवान के संबंध में) लगाए गए सभी प्रतिबंधों को खत्म कर रहा हूं।' अमेरिका द्वारा उठाए गए कदम का ताइवान ने स्वागत किया है। विदेश मंत्री जौसिह जोसेफ वू ने ट्वीट करके कहा, 'प्रतिबंधों को खत्म करने के लिए विदेश मंत्री माइक पोंपियो का आभारी हूं।' पिछले हफ्ते पोंपियो ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट को ताइवान भेजने का एलान किया था।
चीन की घेरेबंदी
इस बीच हांगकांग में 50 से अधिक लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी को लेकर वैश्विक स्तर पर चीन की घेराबंदी शुरू होने लगी है। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान जारी कर चीन से क्षेत्र के लोगों के कानूनी अधिकारों और आजादी का सम्मान करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत की गई कार्रवाई गंभीर चिंता का विषय है।