भारी घाटे में चल रहे राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों के लिए लागू की गई ‘स्वेच्छा निवृत्ति योजना’ को प्रतिसाद मिलता नहीं दिख रहा है। एसटी कॉर्पोरेशन ने 50 वर्ष के उम्र पार कर चुके अपने कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति योजना को लागू की है। बताया गया है कि इस योजना को कर्मचारियों से बहुत कम प्रतिक्रिया मिल रही है। एसटी के 27 हजार कर्मचारियों को स्वेच्छा से सेवामुक्त करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन निगम को 10 प्रतिशत भी आवेदन नहीं मिले हैं। यह योजना कुछ महीने पहले एसटी निगम में लागू की गई थी। इस समय 27,000 कर्मचारी पचास की उम्र पार कर चुके हैं। इस योजना के सफल होने पर एमएसआरटीसी को हर माह 110 करोड़ रुपए की बचत होगी, दूसरी तरफ निगम को स्वेच्छानिवृत्ति के लिए 1400 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। एसटी महामंडल इस समय लगभग पांच हजार करोड़ के घाटे में चल रहा है।
एसटी निगम ने घाटे से उबरने के लिए 27 हजार कर्मचारियों के लिए स्वेच्छानिवृत्ति की प्रक्रिया शुरू कर समय सीमा श्रमिकों से सहमति फॉर्म भरने और दो जनवरी 2021 तक केंद्रीय कार्यालय में भेजने का आदेश जारी किया था, लेकिन योजना को लेकर कर्मचारियों में कम उत्साह दिखा। हालांकि निगम ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति सहमति फॉर्म भरने की तारीख 28 जनवरी तक बढ़ा दी है। स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति योजना का विवरण 28 जनवरी 2021 तक ई-मेल और पोस्ट द्वारा भेजा जा सकता है।
एसटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विपरित हालात में भी कर्मचारियों को निगम की तरफ सभी सुविधाएं मिल रही हैं, तो लोग स्वैच्छिक निवृत्ति से कतरा रहे हैं। इस योजना की समयावधि और बढ़ सकती है। कर्मचारी यूनियन भी कुछ शर्तों के लिए योजना का विरोध कर रहे हैं।