मनीष कुमार
कड़ाके की सर्दी के बीच कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 42वां दिन है। भीषण शीतलहर के बीच चार दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश ने दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे अन्नदाताओं की पीड़ा बढ़ा दी है। बारिश के बीच भी बड़ी तादाद में किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं।
सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच अबतक आठ दौर की बैठक हो चुकी है, लेकिन अबतक कोई समाधान नहीं निकल सका है। चार जनवरी को सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की बैठक हुई लेकिन इस बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल पाया। 8 जनवरी को होने वाली अगली बैठक से पहले मंगलवार को किसान नेताओं ने कुंडली बॉर्डर पर मीटिंग कर आगे की रणनीति पर चर्चा की।
बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि दिल्ली में 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी और गुरुवार को इसका ट्रायल ट्रैक्टर मार्च में दिखेगा। बैठक के बाद योगेंद्र यादव कहा कि दिल्ली के चारों तरफ से 7 जनवरी को मार्च निकलेगा। उन्होंने कहा कि पहले यह मार्च 6 जनवरी को होना था। लेकिन अब 7 जनवरी को सुबह 11 बजे से केएमपी और केजीपी पर मार्च निकालेंगे।
किसानों के ट्रैक्टर मार्च क देखते हुए यूपी सरकार पूरी तरह चौकन्नी हो गई है। किसानों के ट्रैक्टर मार्च के एलान के बाद पश्चिमी यूपी के 17 जिलों में ग्राउंड जीरो पर सीनियर अधिकारियों को तैनात किया है। जिससे किसी भी अनहोनी को रोका जा सके। खास तौर पर मेरठ जोन और बरेली जोन के सभी जिले में डीआईजी से लेकर एडीजी स्तर तक के अधिकारियों को भेजा गया है।
गौरतलब है कि कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।
सरकार और किसानों के बीच अबतक आठ दौर की बातचीत हो चुके हैं लेकिन तमाम कोशिशें बेनतीजा रही है। किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह हटाने की अपनी मांगों पर अड़े हैं। वहीं सरकार कानूनों को हटाने की जगह उनमें कुछ संशोधन करने के लिए तैयार नजर आ रही है। किसान संगठन कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने की मांग से नीचे आने को तैयार नहीं हैं।