नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच सोमवार को चल रही बैठक खत्म हो चुकी है। इस बैठक में भी कोई फैसला नहीं हो पाया है। अब अगले दौर की बातचीत 8 जनवरी को होगी। यह बातचीत दोपहर 2 बजे होगी।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक के बाद कहा ‘भारत सरकार के 2 नए कानूनों और एक संशोधन पर चर्चा हुई। हम क्लॉज के अनुसार चर्चा चाहते थे, इस पर बातचीत चलती रही। थोड़ी बहुत एमएसपी पर भी बात हुई। सोमवार को किसी निर्णय पर हम नहीं पहुंच सके हैं। इसलिए 8 जनवरी को फिर बातचीत पर किसान संगठनों और सरकार के बीच रजामंदी हुई।’
नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा ‘किसानों के कानून वापस लेने पर अड़े रहने की वजह से कोई रास्ता नहीं निकल पाया। हमें उम्मीद है कि अगली बैठक में सार्थक चर्चा होगी और हम समाधान तक पहुंच पाएंगे। किसानों को सरकार पर भरोसा है और सरकार के मन में किसानों के प्रति सम्मान और संवेदना है।’
तोमर ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि किसानों के समग्र हित को देखते हुए ही कानून बनाया है। हमारी अपेक्षा है कि किसान यूनियन की तरफ से यह बात हमारे सामने आए जिससे किसानों को समस्या है, हम उस पर खुलकर बातचीत करने को तैयार हैं। मुझे लगता है कि मुद्दे का जल्द ही समाधान होगा।
उधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए कहा, ‘8 जनवरी को सरकार के साथ फिर से मुलाकात होगी। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर और MSP दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को फिर से बात होगी। हमने बता दिया है कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं होगी।
वहीं, ऑल इंडिया किसान महासभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को लेकर दबाव में है। हम कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे, हम कानून वापसी के अलावा किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा नहीं चाहते हैं। जब तक कानून वापस नहीं होते, हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
मृतक किसानों के लिए दो मिनट का मौन
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों और किसानों के प्रतिनिधियों ने उन किसानों के लिए दो मिनट का मौन रखा, जिन्होंने मौजूदा किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवा दी।
संघ ने संभाला मोर्चा
नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने जहां ऐलान किया है कि मांग पूरी न होने पर वह 26 जनवरी को किसान परेड निकालेंगे वहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का किसान संगठन इस दिन गांव-गांव जाएगा और किसानों को अपनी मांग और कानून के बारे में बताएगा। संघ के किसान संगठन भारतीय किसान संघ का कहना है कि कृषि कानून वापस लेने की जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ बदलाव जरूरी है।