कांग्रेस ने सोमवार को अपना 136वां स्थापना दिवस मनाया। पार्टी के स्थापना दिवस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की गैरमौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार एक बार फिर गर्म कर दिया है। पार्टी के निलंबित चल रहे पूर्व प्रवक्ता संजय झा ने भी राहुल की गैरमौजूदगी को लेकर सवाल उठाया और कहा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में परिवर्तन की इच्छा का अभाव है। उन्होंने कहा कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जिस तरह की गलती कर रहा है, उसका खामियाजा उसे आगे उठाना पड़ सकता है।
झा ने कहा कि पर्याप्त राजनीतिक अनुभव होने के बावजूद, राहुल गांधी पार्टी और भारत के लिए एक विज़न मैप बनाने में विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के बहुत से वरिष्ठ नेता पिछले काफी समय से गायब हैं, जो एक चिंता का विषया है। झा ने कहा, 'कांग्रेस में कुछ हासिल करने की भूख, ऊर्जा और महत्वाकांक्षा की जरूरत है।' उन्होंने कहा, 'कांग्रेस को अब वैसे ही प्रदर्शन की जरूरत है, जैसा 1977 के बाद इंदिरा गांधी ने किया था। लेकिन अफसोस की बात ये है कि वर्तमान नेतृत्व में परिवर्तन के लिए कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखाई देती है।'
क्या आपको लगता है कि पार्टी आने वाले सालों में बेहतर कर सकती है? इसके जवाब में झा ने कहा, 'कांग्रेस को भूख, ऊर्जा और महत्वाकांक्षा की जरूरत है, जैसा 1977 के दौरान इंदिरा गांधी ने करके दिखाया था।' उन्होंने कहा कि इस तरह के परिवर्तन के लिए वर्तमान नेतृत्व में इच्छाशक्ति की कमी है। तकनीकी रूप से, असम और केरल में कांग्रेस बहुत आगे है, इसके बावजूद वहां लगातार उनके प्रतिद्वंदी बढ़ रहे हैं। इसको देखते हुए कांग्रेस को अब आक्रामक अभियान शुरू करना चाहिए। तमिलनाडु में डीएमके को बड़ी ताकत बनकर उभरना चाहिए, हालांकि मुझे लगता है कि पार्टी को सीट-बंटवारे में व्यावहारिक होना चाहिए और गठबंधन की जीत के लिए काम करना चाहिए। पुडुचेरी में कांग्रेस अपना दबदबा जारी रख सकती है। पश्चिम बंगाल पर अभी कुछ भी कहा नहीं जा सकता है। अगर भाजपा यहां पर अच्छा प्रदर्शन करती है तो टीएमसी को वाम-कांग्रेस के समर्थन की आवश्यकता हो सकती है।