जितेंद्र मिश्रा
भाजपा प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये का कहना है कि मोदी विरोध के नाम पर देश की सभी विपक्षी पार्टियां कृषि कानून को लेकर किसानों को सिर्फ गुमराह करने का काम कर रही हैं। राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार ने भाजपा को सत्ता से रोकने के लिए बेमेल गठबंधन किया है, जो इनकी एक साल की उपलब्धि कहा जा सकता है। मेट्रो कारशेड को लेकर अपने अहंकार में सरकार ने स्थान बदलने का निर्णय लिया। कांजुरमार्ग में मेट्रो कारशेड निर्माण को लेकर भाजपा की कोई आपत्ति नहीं है। विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर आरे में मेट्रो कारशेड का काम शुरू किया गया है। प्रस्तुत है ऐसे ही कई मुद्दों पर उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंशः-
नए कृषि कानून को लेकर राज्य सहित देश की राजनीति गर्म है, इस पर क्या कहेंगे ?
कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद और हितकारक हैं। पिछले कई वर्षो से किसान अपनी फसल को बिचौलियों के माध्यम से मंडी में बेचता था, लेकिन कृषि कानून आने के बाद किसान स्वतंत्र होकरअपनी फसल कही भी और किसी को बेच सकता है, जिसमे बिचौलियों की जरूरत नहीं पड़ेगी। विपक्षी पार्टियां इस कानून को लेकर भ्रम फैला रही हैं। हरियाणा और पंजाब के कुछ किसानों अगर छोड़ दिया जाए तो बाकी देश के अन्य राज्यों के किसानों ने इस कानून का समर्थन किया है, और इस कानून को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के साथ खड़े हैं।
क्या कृषि कानून को लेकर विपक्ष राजनीति कर रहा है ?
बिलकुल, राजनीति ही नहीं, बल्कि विपक्ष बिचौलियों का साथ भी दे रहा है। जिन बिचौलियों ने वर्षो से किसानो को लूटा, किसानों की फसलों को सस्ते में खरीद कर महंगे दामों पर बेचकर अपनी तिजोरी भरी, उन बिचौलियों का विपक्ष समर्थन कर रहा है। साथ ही किसानों के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटी भी सेंक रहें हैं।
दिल्ली में किसानों के आंदोलन से महाराष्ट्र पर क्या असर पड़ेगा ?
देखिये, महाराष्ट्र के किसानों ने कृषि कानून का समर्थन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा साथ दिया है। इसे राज्य और देश की जनता ने देखा है। इस कानून को लेकर राज्य में कही भी विरोध प्रदर्शन देखने को नहीं मिला, जबकि कांग्रेस पार्टी ने किसानों को भड़काने का पूरा प्रयास किया। राज्य के किसानों को यह मालूम है कि नए कृषि कानून से उनका ही फायदा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों से इस कानून को लेकर किए गए आव्हान का सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है।
राज्य में अगर किसानों का आंदोलन शुरू होता है तो भाजपा का क्या रुख होगा ?
सदन में कृषि कानून पारित होने के बाद भाजपा ने पूरे देश में जाकर इस नए कानून के बारे में किसानों को पूरी जानकारी देने का काम किया है। इसके अलावा महाराष्ट्र में किसानों के सम्मान में ट्रैक्टर रैली निकाली गई थी। इसके साथ प्रदेश भाजपा द्वारा राज्य में करीब पांच हजार स्थानों पर रैली आयोजित की गई थी। जिसमें इस कानून के समर्थन में बड़ी संख्या में किसानों ने हिस्सा लिया था। राज्य ही नहीं, पूरे देश का किसान प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के साथ है। इस कृषि कानून से किसानों को फायदा मिलेगा और यह बात उन्हें अच्छी तरह मालूम है।
मेट्रो कारशेड के मुद्दे पर आप क्या कहना चाहेंगे ?
मेट्रो कारशेड के मामले में राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार सिर्फ राजनीति कर रही है। अपने अहंकार में डूबी सरकार के इस निर्णय के कारण मुंबईकरों को इसका नुकसान भुगतना पड़ेगा। सरकार के अहंकार के कारण अगर आरे की जगह दूसरे स्थानों पर कारशेड का निर्माण हुआ तो मेट्रो का किराया बढ़ जाएगा। और इसका बोझ मुंबई की आम जनता पर पड़ेगा। न्यायालय के निर्णय के साथ ठाकरे सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट ने भी आरे में मेट्रो कारशेड का काम शुरू करने के लिए कहा है।
विपक्ष का आरोप है कि कारशेड पर केंद्र बदले की भावना से राजनीति कर रहा है?
यह राज्य और देश की जनता देख रही है कि कौन बदले की भावना की राजनीति कर रहा है। राज्य सरकार की जवाबदारी होती है कि वह हमेशा राज्य के हित में निर्णय ले, लेकिन उद्धव सरकार सिर्फ बदले की भावना से कार्य कर रही है। आरे में कारशेड का निर्णय राज्य के हित में था। सभी अनुमति मिलने के बाद काम भी शुरू हो गया था, लेकिन अपने अहंकार में सरकार कारशेड को दूसरे स्थान पर ले जाने का काम कर रही है। अगर इस सरकार को पिछली सरकार की कमेटी की रिपोर्ट पर भरोशा नहीं है तो ठाकरे सरकार को अपनी कमेटी की रिपोर्ट पर तो भरोशा होना चाहिए।
आखिर कांजुरमार्ग में कारशेड के निर्माण पर भाजपा को क्या आपत्ति है ?
भाजपा को आपत्ति होने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता, लेकिन सरकार द्वारा कारशेड को लेकर बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक तो करनी चाहिए। अगर रिपोर्ट में आरे में कारशेड बनाने पर आपत्ति और कांजुरमार्ग में बनाने का जिक्र है तो सरकार वहां कारशेड का निर्माण कर सकती है। इसमें भाजपा को कोई आपत्ति नहीं होगी। जनता को अच्छी सुविधाएं और व्यवस्थाएं देना भाजपा की सोच है, जिसे देखते हुए भाजपा की पिछली सरकार ने आरे में कारशेड बनाने का निर्णय लिया था। इस निर्णय के खिलाफ कुछ लोग न्यायालय में भी गए थे, लेकिन न्यायालय ने सरकार के निर्णय का समर्थन किया था।
राज्य में कोरोना की बदहाल स्थिति का जिम्मेदार कौन है ?
कोरोना महामारी के शुरूआती दिनों से भाजपा कहती आ रही है कि राज्य सरकार कोरोना के नियंत्रण के लिए नाकाम रही है। देश के अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र में सर्वाधिक संक्रमित मरीज पाए गए और सबसे अधिक मृत्यु हुई है। लेकिन सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए। लॉकडाउन लगने के बाद राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार ने, न तो जरूरत मंद लोगों की कोई मदद की, न ही अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की। दूसरी तरफ लॉकडाउन को लेकर सरकार के मंत्रियो के बीच मतभेद था। इस प्रकार अगर सरकार सभी को साथ लेकर काम करती तो राज्य में कोरोना इतना नहीं बढ़ता।
लोकल ट्रेन में आम लोगों की अनुमति को लेकर सरकार के फैसले पर क्या कहेंगे?
मुझे लगता है कि सरकार को इस मामले में कोई भी निर्णय सोच समझकर लेना चाहिए। राज्य सरकार ने कोरोना को देखते हुए रात 11 बजे से सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया है, इससे क्या कोरोना फैलना बंद हो जाएगा ? दिन भर कोई कही भी जा सकता है, जिसे पार्टी करना होगा, वो शाम छह से रात नौ बजे तक करेगा, इससे कहां कोरोना वायरस रुकेगा। मुझे लगता है कि सरकार के पास कोरोना वायरस को नियंत्रण करने के लिए कोई सोच और दिशा नहीं है।
सरकार ने अपना एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है, इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?
सरकार के एक साल कार्यकाल पूरा होने पर महाविकास आघाड़ी के कुछ वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों ने साक्षात्कार को हमने देखा है, जिसमें उन्होंने अपनी एक साल की उपलब्धि बताते हुए कहा कि इस एक साल की हमने भाजपा को सत्ता से दूर रखने में हम कामयाब रहे है। जिस सरकार की ऐसी सोच और उपलब्धि है, वो सरकार राज्य का विकास और प्रगति कैसे कर सकती है, जो सरकार राज्य की विकास करने की बजाय अपनी बड़ी उपलब्धि भाजपा को सत्ता से दूर करने के लिए मानती है तो ऐसी सरकार पर क्या बोला जाए। पिछले एक साल में राज्य की जनता को कोई मदद नहीं मिली।
सरकार में शामिल होने के बावजूद शिवसेना लगातार कांग्रेस पर निशाना साध रही है, इस पर आपकी क्या राय है ?
कांग्रेस पार्टी के लिए यह बड़ी बात नहीं है, क्योंकि जिस दिन से कांग्रेस और शिवसेना के बीच गठबंधन हुआ, उसी दिन से कांग्रेस ने सेक्युलर और शिवसेना ने अपना हिंदुत्व छोड़ दिया है। कांग्रेस को लेकर शिवसेना प्रमुख दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की जो भूमिका थी, उसे भी शिवसेना ने छोड़ दिया है, इसलिए दोनों पार्टियों के लिए कुछ बचा नहीं है। कांग्रेस के समक्ष शिवसेना नममस्तक हो चुकी है, इसलिए इस मुद्दों पर बोलने से कुछ फायदा नहीं है।
ग्राम पंचायत चुनाव में तीनों पार्टियां मिलकर लड़ रही है, भाजपा इनसे कैसे निपटेगी?
तीनों पार्टियों का मिलकर चुनाव लड़ना उनके लिए चैलेंज है, लेकिन भाजपा के लिए नहीं। क्योंकि तीनों पार्टियों की विचारधारा और लक्ष्य अलग-अलग हैं। कई वर्षों से तीनों पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ती आ रही हैं, इसलिए अब साथ में लड़ना उनके लिए चैलेंज होगा, भाजपा के लिए नहीं। हम पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में जाएंगे और हमारी जीत निश्चित है, ऐसा मुझे पूरा विश्वास है।
2022 के मुंबई मनपा चुनाव को लेकर भाजपा की क्या तैयारी चल रही है ?
मुंबई मनपा के चुनाव को भाजपा ने चुनौती के रूप में स्वीकार किया है। मुंबई वासियों से भाजपा लगातार संपर्क में है और जनता की जो समस्या है, उसे हम लगातार उठा रहे है। पिछले कुछ महीनों में देश के अन्य राज्यों में हुए मनपा के चुनाव में भाजपा ने जिस प्रकार जीत हासिल की है, उससे भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश भर गया है। चाहे वो हैदराबाद का चुनाव हो या जम्मू-कश्मीर, यह क्षेत्र भाजपा का कभी गढ़ नहीं था और वहां पार्टी ने कभी भी जीत हासिल नहीं की थी, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा किए जाए रहे विकास कार्यों को देखते हुए जनता ने भाजपा को चुना है। मुंबई मनपा में तो भाजपा के 80 सीटों से अधिक नगरसेवक हैं। मुंबई में शिवसेना से अधिक विधायक भाजपा के हैं। आगामी मनपा चुनाव में भाजपा विकास और कानून-व्यवस्था का मुद्दा लेकर जनता के पास जाएगी।
विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार विरोधियों को डराने के लिए ईडी का इस्तेमाल कर रही है?
विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं होने कारण वो हमेशा ईडी जैसे मुद्दों पर बात करते हैं। यह जगजाहिर है, जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तब सीबीआई और केंद्रीय जांच एजेंसियों का किस तरह इस्तेमाल किया जाता था। बात रही ईडी को तो यह स्वत्रंत जांच एजेंसी जो अपने तरीके से काम कर रही है।