आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती (23 दिसंबर) को पूरा देश किसान दिवस के रूप में मनाता है। वहीं कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 28वां दिन है। कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच बड़ी तादाद में किसान 26 नवंबर से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। बड़ी तादाद में किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई नाकों पर डटे हैं।
एक तरफ आज पूरा देश 'राष्ट्रीय किसान दिवस' मना रहा है तो दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन ने एलान किया है कि आज हम एक टाइम का खाना नहीं खाएंगे। किसान संगठनों ने लोगों से अनुरोध किया है कि वह आज दोपहर का भोजन न पकाएं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एकबार फिर कहा है कि तक बिल वापिस नहीं होगा, एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा तब तक किसान यहां से नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि किसान दिवस 23 दिसंबर को मनाया जाता है, मैं लोगों से उस दिन एक समय का भोजन ग्रहण न करें और किसान आंदोलन को याद करें।
इस बीच सरकार के बातचीत के न्योते पर किसान नेता फैसला करेंगे। सरकार से बातचीत को लेकर किसान नेता आज मीटिंग करने वाले हैं। इस बैठक में पंजाब और राष्ट्रीय किसान संगठनों के नेता शामिल होंगे। इस बैठक में ये नेता तय करेंगे कि सरकार से बातचीत करनी है या नहीं। गौरतलब है कि कि सरकार की तरफ से रविवार रात किसानों को बातचीत के न्योते की चिट्ठी भेजी गई थी।
केंद्र सरकार ने 40 किसान संगठनों को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा था और उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित किया था। सरकार ने यह भी कहा था किसान संगठन अपनी पसंद से कोई भी तारीख चुन सकते हैं। ऐसे में इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि किसान संगठनों की आज की बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्ताव को लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है।
आपको बता दें कि भारत के किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए चरण सिंह ने काफी काम किए थे। चौधरी चरण सिंह देश के ऐसे किसान नेता थे, जिन्होंने देश की संसद में किसानों के लिए आवाज बुलंद की थी। यही कारण है कि सरकार ने साल 2001 में उनके जन्मदिवस को ‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ के रूप में मनाने का एलान किया था। चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से लेकर 14 जनवरी 1980 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे।