कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को चार हफ्ते हो चुके हैं लेकिन किसान प्रतिनिधियों और सराकर के बीच अब भी गतिरोध बना हुआ है। किसान आंदोलन का आज 28वां दिन है। कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच बड़ी तादाद में किसान 26 नवंबर से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। बड़ी तादाद में किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई नाकों पर डटे हैं।
हीं सरकार के बातचीत के न्योते पर किसान नेता फैसला करेंगे। सरकार से बातचीत को लेकर किसान नेता आज मीटिंग करने वाले हैं। इस बैठक में पंजाब और राष्ट्रीय किसान संगठनों के नेता शामिल होंगे। इस बैठक में ये नेता तय करेंगे कि सरकार से बातचीत करनी है या नहीं।
आपको बता दें कि सरकार की तरफ से रविवार रात किसानों को बातचीत के न्योते की चिट्ठी भेजी गई थी। केंद्र सरकार ने 40 किसान संगठनों को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा था और उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित किया था। सरकार ने यह भी कहा था किसान संगठन अपनी पसंद से कोई भी तारीख चुन सकते हैं। ऐसे में इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि किसान संगठनों की आज की बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्ताव को लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है।
किसान नेताओं का कहना है कि अगर सरकार कोई ठोस समाधान पेश करती है तो वे हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन दावा किया कि वार्ता के लिए अगली तारीख के संबंध में केंद्र के पत्र में कुछ भी नया नहीं है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि वह नए कृषि कानूनों में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर बात करना चाहती है।