राजस्थान में एक तरफ जहां अशोक गहलोत सरकार ने सत्ता में रहते अपने दो साल पूरे कर लिए है, वहीं एक बार फिर कांग्रेस के अंदर नेतृत्व परिवर्तन को लेकर रस्साकसी तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि जल्दी ही अशोक गहलोत AICC में बड़ी जिम्मेदारी संभाल सकते हैं और सचिन पायलेट को राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी मिल सकती है। यही कारण है कि इन दिनों गहलोत सरकार के मंत्री भी सचिन पायलेट के साथ तस्वीरे खिंचवाते नज़र आ रहे हैं, जोकि सरकार पर इस साल के मध्य आए संकट के दौरान पानी पी-पीकर सचिन को कौसा करते थे।
पीसीसी अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा और रघु शर्मा सचिन पायलेट के साथ तस्वीरों में फिर से नज़र आ रहे हैं। ये वहीं दो ऐसे बड़े नेता भी थे, जोकि इस साल अगस्त में सरकार पर आये संकट के दौरान सचिन पायलेट को जमकर कौसा करते थे। लेकिन इनकी तस्वीरें अब उसी नेता के साथ सामने आने के बाद हर कोई नए राजनितिक समीकरणों के बनने-बिगड़ने का अनुमान लगा रहा है। इसके साथ ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर चली आ रही चर्चाओं को भी फिर से राजस्थान की राजनीती में हवा मिल गई है।
कहा जा रहा है कि इस बार अशोक गहलोत के खिलाफ ऐसा दांव चला गया है, जो उन्हें न तो स्वीकारते बन रहा है और न ही नकारते। यह दाव है AICC में बड़ी जिम्मेदारी मिलने का। यही कारण है कि दिल्ली से आ रहे संकेतों के चलते राजस्थान में अशोक गहलोत के करीबी नेताओं ने भी सचिन के साथ फिर से नजदीकियां फिर से बढ़ानी शुरू कर दी है। कोटा के सरकारी अस्पताल में बच्चों की मौत के बाद सचिन पायलेट के पिछले साल जिम्मेदारी लेने के बयान से नाराज़ स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा पहले से ही नाराज़ थे और पीसीसी अध्यक्ष पर बर्खास्तगी के बाद डोटासरा को नया अध्यक्ष बनाया गया तो वह कन्नी काटते ही दिखे, लेकिन जब ये दोनों ही बड़े नेता सचिन पायलेट के साथ नज़र आने लगे तो बाकी नेताओं में भी मानो होड़ से मच गयी है। हालांकि अशोक गहलोत समर्थक बड़े नेता अब भी ऐसे सुगबुगाहट को आधारहीन ही मान रहे हैं।
दरअसल, पिछली बार जब नेतृत्व परिवर्तन का मुद्दा उठा था तो अशोक गहलोत ने अपने राजनीतिक अनुभव से सचिन पायलट को ‘हिट विकेट’ कराकर “चीफ मिनिस्ट्री” का पद सेफ कर लिया था, लेकिन कहते हैं कि हमेशा स्थितियां एक सी नहीं रहती हैं। अहमद पटेल के निधन के बाद दिल्ली में केंद्रीय आलाकमान के लिए एक ऐसे शख्स की तलाश है, जो राजनीतिक नजरिए से तो मैच्योर हो ही, उसकी निष्ठा भी पार्टी के लिए मजबूत हो। वैसे भी कई बड़े नेता गांधी खानदान के बाहर नए अध्यक्ष के पक्ष में खड़े नज़र आ रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस का मानना है कि AICC अध्यक्ष का पद बहुत समय तक खाली भी नहीं रखा जा सकता। दिल्ली में मौजूद जो विकल्प थे, उस पर नजर दौड़ाई जा चुकी है, लेकिन उसमें से कोई भी फिट नहीं बैठ रहा है, जिसे अहमद पटेल या उससे ऊपर वाली भूमिका में रखा जा सके। बस यहीं से अशोक गहलोत का नाम उछला है।
कहा जा रहा है कि अहमद पटेल वाली पोजिशन भरने के लिए जो भी ‘गुण’ चाहिए, वे सब अशोक गहलोत में हैं। खुद के राजस्थान सहित कई राज्यों में कांग्रेस की सरकार को बचाने में या उसपर आये संकट को दूर करने में अशोक गहलोत ने कई बार अपनी काबिलियत दिखाई है। यही कारण है कि कांग्रेस आलाकमान चाहता है कि अशोक गहलोत राजस्थान छोड़ अब दिल्ली आ जाएं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस केन्द्रीय नेतृत्व की ओर से संकेत मिलने लगे हैं और कहा जा रहा है कि गहलोत को राजस्थान से दिल्ली शिफ्ट कर देना चाहिए। पाला बदलने की तस्वीरे सामने आने के बाद इसे लेकर बीजेपी ने भी एक बार फिर से चुटकी ली है।
इन सबके बीच यह भी जगजाहिर है कि ना तो अशोक गहलोत किसी भी सूरत में राजस्थान नहीं छोड़ना चाहते, ऊपर से यदि नौबत आती भी है तो कभी नहीं चाहेंगे की करीब 52 दिन उनकी सरकार पर संकट लाने वाले सचिन पायलेट को किसी भी सूरत में राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी मिले। गहलोत यह बात भी अच्छी तरह से समझते हैं कि दिल्ली शिफ्ट होने का मतलब कि वे किंग मेकर तो बन सकते हैं, लेकिन ‘किंग’ की कुर्सी छोड़नी होगी और इस वक़्त उनका दिल “किंग” ही बने रहने का है। ऐसे में यदि देखना होगा की कांग्रेस आलाकमान नए साल की शुरुआत के साथ ही अशोक गहलोत के लिए किस तरह की भूमिका तय करता है।