पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ नंदीग्रामके विधायक शुभेंदु अधिकारी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर तृणमूल कांग्रेस से नाता तोड़ने की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है, वहीं कुछ अन्य विधायकों और एक लोकसभा सांसद ने भी गृहमंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे से पहले बागी तेवर दिखाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ा दीं।
इनमें से ज्यादातर नेता दक्षिण बंगाल के हैं, जहां भाजपा का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में ठीक नहीं रहा था। उत्तर बंगाल में भाजपा ने स्वीप किया था और उसे 7 में से छह सीटों पर जीत मिली थी। ये घटनाक्रम ऐसे समय में हुए जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर बंगाल में रैलियां करने में जुटी थीं। एक के बाद एक कई टीएमसी नेता पार्टीऔर नेतृत्वके खिलाफ असंतोष जाहिर कर रहे हैं। बर्दवान पूर्व लोकसभा सीटसे दोबार के सांसद सुनील मंडल ने पार्टीमें सुधार की जरूरत बताते हुए प्रशांत किशोर की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। 2014 में मंडल की जीत से पहले यह सीट मार्क्सवादियों के सबसे मजबूत गढ़ों में से एक थी ।
पार्टीमें चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और उनकी कंपनी आई-पैक की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए मंडल ने कहा, ‘क्या यह स्वीकार्यहै कि हममें से जिन लोगों ने लोगों के बीच जमीन पर काम किया और कार्यकर्ताके रूप में काम करते हुए यहां तक पहुंचे, आई-पैक के पेड कर्मचारियों से निर्देश लें कि कहां और कैसे प्रदर्शन करना है?’
मंडल ने कहा, ‘बंगाल के लोग संवेदनशील और बुद्धिमान हैं। प्रदर्शन ही वोट नहीं दिला सकते हैं।’’ पूर्व बर्दवान में मंडल के समर्थन में कई पोस्टर देखे जा सकते हैं। अटकलें हैं किअधिकारी और कुछ अन्य असंतुष्ट विधायक उनसे मुलाकात कर सकते हैं।’’