सीमा पर चीन से चल रहे तनाव के बीच भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने तीनों सेनाओं को 15 नि की जंग के हिसाब से गोला-बारूद और हथियार जमा करने की छूट दे दी है। अब तक सेनाएं 10 नि की जंग के हिसाब से हथियार जुटाती थी।
ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के हालात को देखते हुए यह फैसला बहुत अहम माना जा रहा है। इससे सेना जरूरत के मुताबिक, चीजों का स्टॉक और इमरजेंसी फाइनेंशियल पावर का इस्तेमाल कर सकेगी। देश के अलावा विदेश से भी 50 हजार करोड़ के हथियार खरीदने की योजना है ।
दुश्मन देशों से निपटने की तैयारी
सरकार के सूत्रों ने बताया कि दुश्मनों के साथ 15 नि की जंग लड़ने के लिहाज से वेपन सिस्टम और गोला-बारूद जमा किया जा रहा है। इस कवायद का मकसद सेना को पाकिस्तान और चीन दोनों से एक साथ जंग के लिए तैयार करना है।
उड़ी हमले के बाद महसूस हुई जरूरत
उन्होंने बताया कि सेना को स्टॉक बढ़ाने की छूट कुछ समय पहले दे दी गई थी। कई साल पहले ऐसी तैयारी की गई थी कि सेना के पास 40 नि की लड़ाई के लिए रिसोर्स मौजूद रहें। हथियारों और गोला-बारूद के स्टोरेज से जुड़ी चुनौतियों और बदलते हालात के कारण इसे 10 नि कर दिया गया था।
उड़ी हमले के बाद यह महसूस किया गया कि सेना के पास युद्ध के लिए रिजर्व स्टॉक बहुत कम है। तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के वाइस चीफ की खरीदी के अधिकार 100 करोड़ से 500 करोड़ रुपए कर दिए थे।
सेनाओं को 300 करोड़ की इमरजेंसी फाइनेंशियल पावर
तीनों सेनाओं को जरूरी साजोसामान की खरीद के लिए 300 करोड़ रुपये की इमरजेंसी फाइनेंशियल पावर दी गई थी। तब महसूस हुआ था कि युद्ध की स्थिति में इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। इस समय सेनाएं हथियार और मिसाइल सिस्टम खरीद कर रही हैं, ताकि हालात बिगड़ने पर दोनों मोर्चों पर असरदार कार्रवाई की जा सके। सूत्रों का कहना है कि जमीनी सेना की चिंताएं कम करने के लिए टैंक और तोपखाने के लिए बड़ी संख्या में मिसाइलों और गोला-बारूद का इंतजाम किया गया है।