भाकपा-माले ने देश के चर्चित व वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल की दुखद मृत्यु पर उन्हें भाववीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की है. साथ ही, भोजपुर आंदोलन के शिल्पिकार जगदीश मास्टर को भी उनके स्मृति दिवस पर याद किया गया और श्रद्धाजंलि अर्पित की गई।
अपने शोक संदेश में भाकपा-माले ने कहा है कि हिंदी के वरिष्ठ और प्रिय कवि मंगलेश डबराल क्रांतिकारी संस्कृति धारा से आजीवन जुड़े रहे और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के समर्थक-शुभचिंतक रहे. साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित 72 वर्षीय मंगलेश डबराल की मौत हमारे लिए अपूरणीय क्षति है। कुछ दिन पहले भाकपा (माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल के कोविद 19 से पीड़ित होने पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की थी, लेकिन ऐसा हो न सका।
कामरेड दीपंकर ने उनके भांजे व चर्चित कवि प्रमोद कौंसवाल से बातचीत कर कवि मंगलेश डबराल की बीमारी व चिकित्सा की जानकारी ली थी. बातचीत के दौरान उन्होंने मंगलेश डबराल की अस्वस्थता के प्रति पार्टी की केंद्रीय कमेटी व पार्टी कतारों की चिंताओं से भी अवगत कराया था. उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में पार्टी हरतरह से उनके परिजनों के साथ खड़ी रहेगी।
भाकपा(माले) महासचिव ने मोदी सरकार की साम्प्रदायिक नफरत व भीड़ हत्या (मॉब लॉन्चिंग) की राजनीति के खिलाफ पुरस्कार वापसी की मुहिम की अगुआई करते हुए साहित्य अकादमी सम्मान लौटाने वाले कवि मंगलेश डबराल को बराबरी, न्याय व भाईचारा को हासिल करने के लिए देश की जनता के संघर्षों के अथक योद्धा बताया।
राज्य कार्यालय में आयोजित श्रद्धाजंलि सभा मे भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल, पार्टी के वयोवृद्ध नेता बृजबिहारी पांडेय और अन्य नेताओं ने मंगलेश डबराल के साथ-साथ जगदीश मास्टर को श्रद्धाजंलि दी. जगदीश मास्टर 70 के दशक में भोजपुर के इलाके में भूमिहीन-गरीबों-दलितों के ऐतिहासिक उभार के शिल्पीकार थे।