प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून को लेकर राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार दोहरी भूमिका निभा रही है। कानून का दुष्प्रचार करने वाले विपक्ष का साथ किसान कभी नहीं देगा। यह बात सोमवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में नेता विपक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने कही। विपक्ष पर निशाना साधते हुए फड़नवीस ने कहा कि साल 2010 में केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार में कृषि मंत्री रहे शरद पवार ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर एपीएमसी कानून में बड़ा बदलाव करने की आवश्यकता बताई थी। पवार पर तंज कसते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि अब शरद पवार का आत्मचरित्र जगजाहिर हो चुका है। फड़नवीस ने शरद पवार द्वारा मुख्यमंत्रियों को लिखे गए पत्र को मीडिया के समक्ष पढ़कर सुनाते हुए कहा कि पवार ने अपने लिखे गए पत्र में कहा था कि देश की दर साल 55 हजार करोड़ रुपए का अनाज का नुकसान इसलिए होता है, क्योंकि किसानों को मजबूरन एपीएमसी में अपना अनाज बेचना पड़ता है। इसलिए एपीएमसी कानून में बदलाव की आवश्यकता है।
फड़नवीस ने कहा कि पवार द्वारा लिखा गया यह पत्र सार्वजनिक होने के बाद उनका दोहरा चरित्र जनता को सामने दिखाई पड़ रहा है। शिवसेना पर हमला बोलते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि पवार के इस पत्र का समर्थन करते हुए शिवसेना ने भाजी और सब्जी को एपीएमसी नियम से मुक्त करने की बात किया था, जो मौजूदा कृषि कानून में लागू है। कृषि कानून पर महाविकास आघाड़ी सरकार की दोहरी भूमिका का विश्लेषण करते हुए फड़नवीस ने कहा कि एपीएमसी में किसानों के साथ हो रहे अन्याय को रोकने और इसका मार्ग निकालने के लिए शिवसेना सांसद विनायक राउत ने चर्चा की थी। विपक्ष को कटघरे में खड़ा करते हुए फड़नवीस ने कहा यह कृषि कानून का नहीं, बल्कि विरोधक का विरोध हो रहा है। विपक्षियों का भारत बंद का समर्थन करना मतलब बहती गंगा में हाथ धोने जैसा है। उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से राज्य में यह कानून लागू है।