केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे बड़ी संख्या में पंजाब, हरियाणा के किसानों ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। किसानों ने कहा है कि सरकार नए कानूनों को रद्द करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए। किसान नेताओं का कहना है कि अगर कृषि कानूनों से जुड़ी उनकी समस्याओं का हल नहीं होता है तो फिर वे और कदम उठाएंगे।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता दर्शन पाल ने आरोप लगाया कि केंद्र किसान संगठनों में फूट डालने का काम कर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा। इससे पहले, करीब 32 किसान संगठनों के नेताओं ने सिंघू बॉर्डर पर बैठक की जिसमें भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए।
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा 'गुरुवार की बैठक में किसानों की चिंताओं पर चर्चा कर उसका समाधान किया जाएगा। सरकार इसके लिए तैयार है।' किसान संगठनों के रुख से लगता है कि चौथे दौर की बातचीत भी बेनतीजा ही रह सकती है। किसानों के साथ मंगलवार को हुई वार्ता में उठाए गए सवालों और चौथे दौर की होने वाली बैठक की रणनीति पर विचार करने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने गृहमंत्री शाह से उनके आवास पर मुलाकात की। इस दौरान कृषि कानूनों को खत्म करने जैसी किसानों की जिद पर चर्चा हुई। किसानों को मनाने और कानून की बारीकियों से उन्हें परिचित कराने का प्रयास किया जाएगा। माना जा रहा है कि किसानों के बड़े प्रतिनिधिमंडल की जगह सीमित संख्या में आने की बात को नकार देने जैसे मसले भी वार्ता की गंभीरता को प्रभावित करेंगे। जानकारी के अनुसार पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आज गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं।
उधर, बार्डर पर डटे किसान संगठनों की कई बैठकें हुई, जिसमें केंद्रीय मंत्रियों के साथ होने वाली वार्ता के एजेंडे पर कोई आम राय नहीं बन पाई है। जबकि सरकार ने उन्हें बुधवार शाम तक अपनी आपत्तियों की सूची सौंप देने को कहा था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। किसानों की संयुक्त बैठक में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का संगठन भी शामिल हुआ। कृषि मंत्री तोमर से मंगलवार को भाकियू नेताओं की मुलाकात अलग से हुई थी, जिसे लेकर माना जा रहा है कि आंदोलन कर रहे किसान संगठनों में मुद्दों को लेकर मतभेद है।
किसान नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के सामने बैठकर बातचीत हो तो सारी समस्याएं हल हो सकती हैं। फिलहाल इन नेताओं ने संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग कर के भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है।
किसान आंदोलन के समर्थन में उतरे ट्रांसपोर्टरों ने आगामी 8 दिसंबर से देशव्यापी हड़ताल पर जाने का आह्वान किया है।