केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोविड के बढ़ते मामलों के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर शपथपत्र में कहा दिल्ली सरकार की ढिलाई की वजह से दिल्ली में कोरोना के केस बढ़े हैं। जस्टिस अशोक भूषण की पीठ के समक्ष शुक्रवार को दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा की तमाम चेतावनियों के बावजूद दिल्ली सरकार ने महामारी की रोकथाम के प्रभाव कदम नहीं उठाए। राज्य सरकार ने डेंगू की रोकथाम समेत तमाम विज्ञापन दिए, लेकिन कोविड के बारे में उसका एक भी विज्ञापन नहीं आया। केंद्र ने कहा कि दिल्ली समेत आठ केंद्र शासित प्रदशों और राज्यों में 62 फीसदी संक्रमण हो गया है और मौतें भी यहां २.६१ फीसदी तक हो चुकी है। केंद्र ने कहा कि 11 नवंबर को हुई बैठक में दिल्ली सरकार की खामियां सामने आयी।
संक्रमण की रोकथाम के प्रभावी कदम नहीं उठाए गए
दिल्ली सरकार को मालूम था कि जाड़े की शुरुआत, त्योहारों के सीजन और प्रदूषण के कारण केसों मे बढ़ोतरी होने की संभावना है। ये जानकारी होने बावजूद रोकथाम के कोई कदम नहीं उठाए। केंद्र सरकार ने कहा की दिल्ली सरकार डेंगू की रोकथाम के लिए रेगुलर विज्ञापन करती रही लेकिन कोविड के लिए कोई प्रचार नहीं किया। लोगों को सुरक्षा के उपायों में लिए नहीं बताया गया। हाईपॉवर कमेटी ने दिल्ली सरकार को चेताया था। नीति आयोग की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी ने दिल्ली सरकार से कहा था कि 15000 केस प्रतिदिन आने के लिए तैयार रहे और 6500 आईसीयू बेड तैयार रखे। लेकिन इस सिफारिश पर दिल्ली सरकार ने कोई करवाई नहीं की और इन बेडों की संख्या 3500 ही रखी। इससे दिल्ली में हेल्थ और मेडिकल ढांचे पर अचानक दबाव बढ़ गया।
केंद्र के तमाम आह्वान के बावजूद दिल्ली सरकार ने टेस्टिंग क्षमता खासकर आरटी पीसीआर नहीं बढाई और यह लंबे समय से 20,000 टेस्ट पर ही टिका है। केंद्रीय स्वास्थ्य द्वारा तय उपायों जै से घर घर जाकर सवे र्,कोंटे क्ट ट्रेसिंग, कवारेंटिन और क्लीनिकल प्रबंधन उचित तरीके से नहीं किए गए जिससे संक्रमण में तेजी आई। जो मरीज होम आइसोलेशन में थे उन्हे उचित तरीके से ट्रेस नहीं किया न ही उनके कंटैक्टों की प्रभावी ट्रेसिंग की गई। केंद्र ने कहा कि स्थिति को बिगड़ते देख केंद्रीय गृ हमं त्रालय ने 15 नवंबर को अपात बैठक की और निर्देश जारी किए।