शहर समता विचार मंच के तत्वावधान में ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें रचनाकारों ने अपनी एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों को पेश करके प्रभावित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती को मालार्पण और दीप प्रज्ज्वलित करते हुए रचना सक्सेना की वाणी वंदना से हुआ।
रुड़की के वरिष्ठ साहित्यकार नरेश राजवंशी ने अध्यक्षता की। डा. नीलिमा मिश्रा ने संचालन व संयोजन रचना सक्सेना ने किया। काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि अशोक स्नेही और विशिष्ट अतिथि कविता उपाध्याय थीं। काव्य गोष्ठी में नरेश राजवंशी ने पढ़ा- जन्नत में फरिश्तों की गवाही याद आती है मन्नत में जीवन की उगाही याद आती है...। अशोक स्नेही ने चूमकर रात भर दीप जलता रहा.. और कविता उपाध्याय ने देखो सखी मधुमास आया...की प्रस्तुति की।
इसी क्रम में ऋतंधरा मिश्रा ने जिसको खुशी से जन्में उसी को खुशी में भाए और नीलिमा मिश्रा ने निमंत्रण प्रीत का पाकर उसे स्वीकार करता, सुमन की बाह में आकर भ्रमर गुंजार करता है.. पेश किया। वहीं रचना सक्सेना ने कारवां गुजर गया निशानी रह गई अब तो बस पास में कहानी रह गई... व उमेश श्रीवास्तव ने पास दर्पण है आप स्वयं देखिए... तथा डा. रवि मिश्रा ने बहुत ही इत्मिनान से उसने मेरी नम आँखों में अपनी चमकती आँख रख दी...पेश किया। इसी क्रम में जया मोहन ने तेरे आने की खबर आई..., मीरा सिन्हा नें देखकर नगर में दीयों का प्रकाश..., अभिषेक केसरवानी ने नहीं तुमसे कोई शिकवा न ही शिकायत है..और देवी प्रसाद पांडेय ने चंदन सा शीतल मन लेकर द्वार तुम्हारे आऊं पढ़कर काव्य गोष्ठी को समृद्ध बनाया। आभार ज्ञापन रचना सक्सेना ने किया।