प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि सुधार कानूनों को ऐतिहासिक करार देते हुए मंगलवार को कहा कि देश में पहली बार किसी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने की चिंता की है और इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों को अन्नदाता की भूमिका से आगे ले जाकर 'उद्यमी' बनाने की ओर प्रयास कर रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री बाला साहेब विखे पाटिल की आत्मकथा का वीडियो कांफ्रेंस के जरिए विमोचन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने ये बातें कहीं। इस अवसर पर उन्होंने प्रवर रूरल एजुकेशन सोसाइटी का नाम बदलकर लोकनेते डॉ. बालासाहेब विखे पाटिल प्रवर रूरल एजुकेशन सोसाइटी भी रखा। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस सहित विखे पाटिल परिवार के सदस्य भी मौजूद थे। कृषि व सहकारिता के क्षेत्र में बाला साहेब विखे पाटिल के योगदान की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि गांव, गरीब, किसान का जीवन आसान बनाना, उनके दुख, उनकी तकलीफ कम करना, विखे पाटिल के जीवन का मूलमंत्र रहा। मोदी ने कहा कि उन्होंने सत्ता और राजनीति के जरिए हमेशा समाज की भलाई का प्रयास किया। उन्होंने हमेशा इसी बात पर बल दिया कि राजनीति को समाज के सार्थक बदलाव का माध्यम कैसे बनाया जाए, गांव और गरीब की समस्याओं का समाधान कैसे हो। पाटिल कई बार लोकसभा के सदस्य रहे और 2016 में 84 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था।
महाराष्ट्र में लग रहे इथेनॉल उद्योग
उन्होंने कहा कि पीएम-किसान सम्मान निधि योजना ने किसानों को छोटे-छोटे खर्च के लिए दूसरों के पास जाने की मजबूरी से मुक्ति दिलाई है। इस योजना के तहत एक लाख करोड़ रुपए, सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए जा चुके हैं। कृषि में नए और पुराने तौर-तरीकों के मेल पर बल देते हुए उन्होंने गन्ने की फसल को इसका बहुत सटीक उदाहरण बताया और कहा कि महाराष्ट्र के ही अहमदनगर, पुणे औऱ आसपास के क्षेत्र में गन्ने से चीनी के साथ-साथ इथेनॉल निकालने के लिए भी उद्योग लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में अभी 100 के करीब ऐसे उद्योग चल रहे हैं और दर्जनों नए उद्योगों को जरूरी मदद की स्वीकृति भी मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे पेट्रोल में इथेनॉल की ब्लेंडिंग की क्षमता बढ़ेगी, वैसे-वैसे तेल का जो पैसा बाहर जा रहा है, वो किसानों की जेब में आया करेगा।