सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मराठा आरक्षण (Maratha reservation) को स्थगिती देने के बाद राज्य में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रवादी के सर्वेसर्वा शरद पवार (NCP president Sharad Pawar) ने अध्यादेश का विकल्प सुझाया है।
इसे लेकर बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल (BJP chandrakant patil) ने शारद पवार पर निशाना साधा है। पाटिल ने कहा, “शरद पवार से यह उम्मीद नहीं है। पवार 50 वर्ष राजनीति में होने के बाद भी मराठा समुदाय (marahta Society) को आरक्षण क्यों नहीं दिलाया? इसका मतलब यही है कि, पवार मराठा समुदाय को कभी भी आरक्षण देना नहीं चाहते थे।”
पाटिल ने कहा कि, “लगातार 15 वर्ष राज्य में पवार की सरकार थी। उनके द्वारा गठित बापट समिति ने मराठा समुदाय को पिछड़ा कहा था। इस पर मतदान हुआ, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। लोकसभा में हार के बाद, उन्होंने जल्दबाजी में विधानसभा चुनाव से पहले राणे समिति के आधार पर आरक्षण दिया। वह भी कोर्ट में लंबे समय तक नहीं चला। इसलिए आप कभी भी मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं देना चाहते थे। यदि मराठा आरक्षण आप के मन में होता तो इसके पहले दिए होते। अब भाजपा द्वारा दिए गए आरक्षण को सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगिती देने के बाद आप अध्यादेश निकल रहे है।”
पाटिल ने यह भी कहा कि, इस मामले में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। यह आरक्षण सर्वोच्च न्यायालय में बना रहता, लेकिन सरकार की तैयारी और वकीलों के बीच कोई समन्वय नहीं था। इसलिए अब धोखा देना बंद करो, अध्यादेश में अधिक समय जाता है। 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए यह पात्र हैं इस प्रकार का परिपत्र जारी करने की सलाह दी है।