देश के मशहूर शास्त्रीय संगीत गायक पंडित जसराज का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। अमरीका के न्यू जर्सी के अपने घर में उन्होंने अंतिम सांस ली। वह 90 वर्ष के थे. वह मेवात घराने से ताल्लुक रखते थे. जसराज भारत ही नहीं दुनिया भर में शास्त्रीय संगीत के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपने जीवन का 80 वर्ष शास्त्रीय संगीत के लिए दिया। उनके मृत्यु की जानकरी उनकी बेटी दुर्गा जसराज ने दी।
जानकारी देते हुए दुर्गा जसराज ने कहा,”बड़े दुख के साथ हमें यह सूचित करना पड़ रहा है कि संगीत मार्तंड पंडित जसराज ने अमेरिका के न्यू जर्सी में सुबह 5:15 बजे अपनी कार्डिअक अरेस्ट के चलते अंतिम सांसें लीं.” उन्होंने आगे कहा है, “हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान कृष्ण उनका स्वर्ग में प्यार से स्वागत करें जहां अब पंडित जी ओम नमो: भगवते वासुदेवाय सिर्फ अपने प्यारे भगवान के लिए गाएंगे। हम प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को हमेशा संगीत में शांति मिले।”
जसराज का जन्म 28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार जिले के एक गाँव पिली मंडोरी के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता पंडित मोतीराम भी एक शास्त्रीय गायक थे. जसराज जब चार वर्ष के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया. जिसके बाद उनकी सारी ज़िम्मेदारी उनके बड़े भाई पंडित प्रताप नारायण ने उठाई।
पिता और भाई से मिली संगीत की शिक्षा
पंडित जसराज को उनके पिता द्वारा मुखर संगीत में दीक्षा दी गई थी, और बाद में उनके बड़े भाई पंडित प्रताप नारायण के तहत तबला संगतकार के रूप में प्रशिक्षित किया गया. उन्होंने 14 साल की उम्र में एक गायक के रूप में प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था. उसके पहले वह तबला वादक थे. 1952 में जब वह 22 वर्ष के थे, तब उन्होंने काठमांडू में नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह के दरबार में एक गायक के रूप में अपना पहला स्टेज कॉन्सर्ट किया।
उन्होंने शुरू में पंडित मणिराम के साथ एक शास्त्रीय गायक के रूप में प्रशिक्षण लिया, और बाद में गायक और वाकर, जयवंत सिंह वाघेला और मेवाती घराने के गुलाम कादिर खान के साथ प्रशिक्षित हुए. इसके अलावा, उन्होंने आगरा घराने के स्वामी वल्लभदास दामुलजी को प्रशिक्षित किया।
पंडित जसराज का निधन होने की खबर आते ही पुरे संगीत जगत में शोक की लहर है. प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ साथ संगीत जगत के तमाम लोगों ने उनकी मृत्यु पर शोक और संवेदना व्यक्त किया है।