भारत और चीनी सेना के कमांडरों के बीच रविवार को पांचवें दौर की बातचीत शुरू हुई। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों के जल्द पीछे हटने पर चर्चा हुई। यह मीटिंग पर चीन की तरफ मोलदो में सुबह 11 बजे से शुरू हुई। सूत्रों ने बताया कि भारतीय पक्ष पैंगोंग त्सो के फिंगर इलाकों से चीनी सैनिकों को पूरी तरह से जल्दी हटाने पर जोर देगा। इसके अलावा टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से भी सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी करने पर भी बात होगी। कोर कमांडर स्तर की पिछली वार्ता 14 जुलाई को हुई थी, जो करीब 15 घंटे तक चली थी।
पैंगोंग और देपसांग पर फोकस
रविवार की वार्ता में, भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह कर रहे हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिणी शिनजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर, मेजर जनरल लियू लिन। बातचीत में मुख्य रूस से पैंगोंग त्सो और देपसांग जैसे टकराव वाले स्थानों से समयबद्ध और प्रमाणित किये जाने योग्य पीछे हटने की प्रक्रिया के लिए रूपरेखा को अंतिम रूप देना और एलएसी के पास बड़ी संख्या में मौजूद सैनिकों तथा पीछे के सैन्य अड्डों से हथियारों की वापसी पर दिया जाएगा।
लद्दाख में सियाचिन जैसी तैयारी
चीन के साथ पूर्वी लद्दाख सेक्टर में तनाव को देखते हुए भारतीय सेना लंबे संघर्ष के लिए तैयार है। भारी संख्या में सैनिकों को पहले ही तैनात रखा गया है। उन सभी को हाई ऑल्टीट्यूड में यूज होने वाली किट्स मुहैया कराई जा रही हैं। इसके लिए विदेशी सप्लायर्स से भी बातचीत चल रही है। लद्दाख में तैनात जवानों को सियाचिन में तैनात जवानों जैसे अत्याधुनिक उपकरण दिए जाएंगे। गलवान के बाद सरकार ने एलएसी के पास किसी भी चीनी दुस्साहस का करारा जवाब देने की पूरी छूट दे रखी है। भारतीय वायु सेना और नौसेना भी हाई अलर्ट पर हैं।
पहले की स्थिति से कम कुछ मंजूर नहीं
पिछली बातचीत में, भारतीय पक्ष ने चीनी सेना को 'बहुत स्पष्ट' संदेश दिया था कि पूर्वी लद्दाख में पहले की स्थिति बरकरार रखी जाए। भारत ने कहा था कि चीन को इलाके में शांति बहाल करने के लिए सीमा प्रबंधन के संबंध में उन सभी प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, जिनपर परस्पर सहमति बनी है।