दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों में काफी तनाव आ चुका है और दोनों देश एक दूसरे पर एक दूसरे की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं. इसके पहले अमेरिकी सरकार ने टेक्सास प्रांत के ह्यूस्टन में चीन के वाणिज्य दूतावास को बंद करने के आदेश दिए थे. चेंगडु में अमेरिकी दूतावास को बंद करना चीन का पलटवार था.
दोनों दूतावास बंद करने के मूल आदेश के 72 घंटे बाद बंद किए गए. चेंगडु में सप्ताहांत पर ट्रकों में भर कर दूतावास से सामान हटाया गया. सफाई कर्मचारियों को बड़े बड़े कचरे के बैग भी हटाते हुए देखा गया और शनिवार को एएफपी ने कर्मचारियों को इमारत के आगे के हिस्से से अमेरिका का निशान हटाते हुए देखा.
सप्ताहांत पर 1.65 करोड़ की आबादी वाले इस शहर में इमारत के आगे से लोगों का आना-जाना लगा रहा और उनमें से कई लोगों ने तस्वीरें भी खींचीं. इस दूतावास के तहत चीन का दक्षिण-पश्चिमी इलाका आता था, जिसमें तिब्बत भी शामिल है. कई तिब्बती चीन की सरकार पर धार्मिक दमन और उनकी संस्कृति को नष्ट करने का आरोप लगाते हैं.
चेंगडु में एक कर्मचारी अमेरिकी वाणिज्य दूतावास की दीवार से अमेरिकी चिंह हटाने की कोशिश करता हुआ.
बीजिंग का कहना है कि दूतावास को बंद करना "अमेरिका द्वारा उठाए गए अनुचित कदमों के प्रति एक वैध और आवश्यक प्रतिक्रिया" थी. उसने आरोप भी लगाया है कि दूतावास के कर्मचारी चीन की सुरक्षा और उसके हितों को नुकसान पहुंचा रहे थे. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेंबिन ने पत्रकारों से कहा कि चेंगडु दूतावास में कुछ कर्मचारी "उनकी योग्यता से बाहर के कामों में लगे हुए थे और चीन के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप भी कर रहे थे."
इसी बीच, अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि ह्यूस्टन में चीनी दूतावास के कर्मचारियों ने अमेरिकी कॉर्पोरेट जगत की गुप्त जानकारी और मेडिकल और वैज्ञानिक शोध की मालिकाना जानकारी चुराने की कोशीश की थी, जिसे बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
दोनों देशों के बीच तनाव कई मोर्चों पर बढ़ा है, जिनमें व्यापार, नए कोरोना वायरस को लेकर चीन का प्रबंधन और हांगकांग के लिए एक नया, कठोर सुरक्षा कानून भी शामिल हैं.
ह्यूस्टन में चीन के दूतावास के बाहर रास्ता बंद करते हुए अमेरिकी पुलिसकर्मी.
अमेरिकी अधिकारियों ने चीन की तरफ से एक "नई निरंकुशता" की चेतावनी दी है. चीन के राष्ट्रवादी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक संपादकीय में सोमवार को चेतावनी दी कि अगर अमेरिका दोनों देशों के रिश्तों को "बुरी दिशा में धकेलने को लेकर संकल्प ले चुका है... तो 21वीं सदी शीत युद्ध काल से भी ज्यादा अंधकारमय और विस्फोटक होगी." उसने यह भी कहा कि बढ़ते हुए तनाव की वजह से "अभूतपूर्व आपदा" आ सकती है.
सीके/एए (एएफपी)