प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि युद्ध की परिस्थिति में हमें बहुत सोच-समझ कर बोलना चाहिए क्योंकि इससे सैनिकों और उनके परिवार के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है | आकाशवाणी पर मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘‘मन की बात” की 67वीं कड़ी में लोगों के साथ अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी-कभी प्रतिकूल व्यवहार से देश का ‘‘बहुत नुकसान” होता है। उन्होंने कहा कि युद्ध काल में हर एक देशवासी को अपनी भूमिका तय करनी होती है और वह भूमिका देश की सीमा पर, दुर्गम परिस्तिथियों में लड़ रहे सैनिकों को याद करते हुए तय करनी होगी।
प्रधानमंत्री की यह समझाइश ऐसे समय में आई है जब लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा पर चीन के साथ गतिरोध बना हुआ है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है। मोदी ने कहा, ‘‘युद्ध की परिस्थिति में, हम जो बात कहते हैं, करते हैं, उसका सीमा पर डटे सैनिक के मनोबल पर, उसके परिवार के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है। ये बात हमें कभी भूलनी नहीं चाहिए और इसीलिए हमारा आचार, हमारा व्यवहार, हमारी वाणी, हमारे बयान, हमारी मर्यादा, हमारे लक्ष्य, सभी में, कसौटी में ये जरूर रहना चाहिए कि हम जो कर रहे हैं, कह रहे हैं, उससे सैनिकों का मनोबल बढ़े, उनका सम्मान बढ़े।”
उन्होंने कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि का मंत्र लेकर, एकता के सूत्र में बंधे देशवासी, हमारे सैनिकों की ताक़त को कई हज़ार गुणा बढ़ा देते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी-कभी हम इस बात को समझे बिना सोशल मीडिया पर ऐसी चीजों को बढ़ावा दे देते हैं जो हमारे देश का बहुत नुकसान करती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कभी-कभी जिज्ञासावश संदेश आगे बढ़ाते रहते हैं | पता है गलत है, फिर भी यह करते रहते हैं| आजकल, युद्ध, केवल सीमाओं पर ही नहीं लड़े जाते हैं, देश में भी कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा जाता है और हर एक देशवासी को उसमें अपनी भूमिका तय करनी होती है। हमें भी अपनी भूमिका, देश की सीमा पर, दुर्गम परिस्तिथियों में लड़ रहे सैनिकों को याद करते हुए तय करनी होगी।”
उल्लेखनीय है कि सीमा पर गतिरोध के बीच ही प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों लेह-लद्दाख का दौरा किया था। उन्होंने ना सिर्फ जवानों को संबोधित किया बल्कि चीन के साथ हिंसक झड़प में घायल जवानों से मुलाकात भी की थी। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी क्षेत्र का दौरा किया।(एजेंसी)