भारतीय सीमा पर बीजिंग के दक्षिण चीन सागर पर तनाव बरकरार है। राजधानी बीजिंग में भारतीय सीमा पर व्याप्त तनाव को लेकर कई तरह की चर्चाएं भी हो रही है। बीजिंग से लगने वाली अलग-अलग जगहों पर भारतीय सीमा में ये तनाव देखे जा रहे हैं।
इससे पहले अमेरिका और चीन के बीच भी साउथ चाइना सी पर तनाव था। इसी तनाव को देखते हुए अमेरिकी नौसेना ने अपने विमानवाहक युद्धपोत साउथ चाइना सी में पहले से ही तैनात कर रखे हैं। इसके बाद चीन ने पहले ही कह दिया कि अमेरिका साउथ चाइना सी में तनाव बढ़ा रहा है। चीन और भारत के बीच भी सीमा पर तनाव बरकरार है। गलवन घाटी की घटना के बाद से दुनियाभर में चीन की नीतियों की आलोचना हो रही है। अमेरिका चीन के इस तरह के कारनामों से खासा खफा भी है।
चीन साउथ चाइना सी को भी अपना बताता है वो बाकी देशों को वहां पर किसी तरह से काम भी नहीं करने देता है, इसको देखते हुए अमेरिका ने नाराजगी जताई है। चीन ताइवान को भी साउथ चाइना सी में किसी तरह की खोज नहीं करने देता है। इसको देखते हुए अब अमेरिका ने ताइवान के साथ मिलकर अपने युद्धपोत वहां तैनात कर दिए हैं। इससे चीन बौखलाया हुआ है।
उधर भारत के साथ सीमा पर तनाव पहले से चल रहा है। हांगकांग में नया सुरक्षा कानून लागू किए जाने के बाद से वहां के हालात खराब है, इस मुद्दे पर भी चीन को अमेरिका और यूएस के विरोध का सामना करना पड़ा है। इन दिनों चीन के हालात ठीक नहीं चल रहे हैं उस पर उसके तमाम कानूनों का भी विरोध हो रहा है।
अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में अपने युद्धपोत यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन दूसरी बार तैनाती की है। दरअसल चीन पूरे दक्षिण चीन सागर को अपना हिस्सा बताता है जबकि अमेरिका सहित बाकी दुनिया इसके कुछ हिस्से पर पड़ोसी देशों का अधिकार और बाकी को स्वतंत्र क्षेत्र मानती है। इस समुद्री क्षेत्र पर वर्षो से चल रही तनातनी हाल के महीनों में चरम पर पहुंच गई है। अमेरिका और चीन, दोनों ने एक-दूसरे पर इलाके में तनाव पैदा करने का आरोप लगा रहे हैं।
अमेरिका ने साउथ चाइना सी में जो युद्धपोत तैनात किए हैं, वो दुनिया के सर्वोत्कृष्ट विमानवाहक पोतों में शामिल हैं। इन दोनों ही अमेरिकी युद्धपोतों पर परमाणु हथियारों की तैनाती है। दोनों पर एक सौ से ज्यादा अत्याधुनिक लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात हैं।
दोनों युद्धपोतों के साथ करीब ढाई दर्जन अन्य मंझोले आकार और क्षमता वाले युद्धपोत और विध्वंसक चलते हैं। इतना ही नहीं पानी के भीतर इनकी सुरक्षा के लिए खासतौर पर पनडुब्बी तैनात रहती हैं। ये युद्धपोत किसी भी देश से अमेरिका का युद्ध होने पर वहां का पूरा नक्शा बदलने में सक्षम हैं। चीन के पास इनसे बहुत कम क्षमता वाला महज एक विमानवाहक युद्धपोत है।