भारत-नेपाल भाई-भाई हैं
भारत नेपाल एक ऐसा मित्र राष्ट्र हैं जो पुरे दुनियाँ के लिए एक मिशाल कायम करता है। भारत नेपाल का संबंध प्राचीनकाल से ही कला सांस्कृतिक, धार्मिक, रितिरिवाज, रहन-सहन, भाषा, वेश-भुषा और रोटी-बेटी का है। यह सब जग जाहिर है। विगतकाल से राजनैतिक संबंध भी मधुर होते गये हैं। उदाहर्णार्थ सन् १९५० भारत नेपाल शान्ति तथा मैत्री संधि (Indo - Nepal Treaty of Peace and Friendship) कि बेजोड मिशाल कही जा सकती है।
भारत नेपाल का संबंध केवल एक पडोसी राष्ट्रों का ही नहीं। अपितु धर्म संस्कार, संस्कृति, रितिरिवाज, रहनसहन, सभ्यता, रोटी-बेटी और शादीविवाह से जुडा हुआ अतुलनीय अनुठा संबंध है। सन् १९५० जुलाई ३१ के भारत नेपाल संबंध अनुसार दोनों देश के नागरिक एक दुसरे के देश बेरोक-टोक आ-जा सकते हैं, रोजगारी कर सकते हैं, उच्च शिक्षा हासिल करने, स्वास्थ्य लाभान्वित होने सहित घर जमीन खरीदकर स्थाई वास्तव्य कर सकते हैं। जिविकापार्जन सहित दोनों ही देश एकदुसरे देश कि समृद्धि के लिये कन्धे से कन्धा मिलाये हुये प्रगति कि ओर गतिमान हैं। यहाँ दोनों भी राष्ट्र कि मन्शा पैसा कमाना या पेट भरना ही नहीं है। अपितु किसी भी देश पर मुसिबत आ जाये तो राष्ट्र के सुरक्षा और जनता के जानमाल कि रक्षा में अपनी जान कि बाजी और बलिदान देने में भी रत्तिभर संकोच नहीं करते हैं। हम नेपाली मुल के नेपाली जरा भी संकोच न करते हुए कह सकते हैं यदी भारत पर कोई भी आपत्ति आये तो हर-एक नेपाली भारतीय जैसा भारतमाता कि रक्षा के लिये अपनों प्राणों कि आहुती देने से एक कदम भी पिछे नहीं हटेगा।
वीर गोर्खा रेजीमेन्ट ने समय-समय पर दर्शाया भी है चाहे वो अंग्रेज़ सरकार विरुद्ध कि लडाई ही क्यों न हो...! आज भारत और चीन में युद्ध का माहौल बना हुआ है। ऐसे हालत में भारत नेपाल सरकार में सीमा विवाद तुल पकडा हुआ है। भारत-नेपाल सीमावर्ती विवाद भारत नेपाल राजनैतिक, कुटनैतिक तरिके से सुलझाने में सामर्थ्य हैं। चीन को यहाँ किसी भी प्रकार कि मध्यस्थता या जालसाजी करने कि कोई भी कोशिश नहीं करनी चाहिये। भारत-नेपाल मैत्रीपुर्ण संबध किसी नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली या प्रचण्ड के बनाया हुआ नहीं है। यह संबंध तो भारत-नेपाल के नागरिकों का आपसी भाईचारा है। चीन हमारा पडोसी मुल्क हो सकता। हमारे राजनैतिक संबंध मधुर हो सकते हैं। किन्तु चीन मित्र राष्ट्र नहीं हो सकता है।
भारत नेपाल मित्र राष्ट्र आठ अजुबे में प्रथम अजुबा बोले तो भी कम ही पडेगा। अत: चीन को भारत-नेपाल के बीच में नहीं आने से अच्छा ही होगा। क्योंकि दोनों भी देश सपनों में भी एक दुसरे प्रति रंजीश नहीं करने वाले हैं। कोई भी हम लोगों को आपस में लडा नहीं सकता है। असफल कोशिश ही न करें । भारत-नेपाल संबंध किसी व्यक्तिविशेष ने बनाया हुआ नहीं है। यह तो दोनों देश कि जनता ने बनाया हुआ सौहाद्रपुर्ण रिश्ता है। यह प्राकृतिक रिश्ता देवलोक से ही बनाया हुआ बोले तो भी कम है। बुद्ध जन्म स्थल नेपाल...! बुद्ध धम्म क्षेत्र भारत...! माताजानकी मिथिला नरेश नेपाल और प्रभु राम भारत...! ऐसे रिश्तों मे चीन कि आवश्यकता नहीं है। पिछले कुछ दिनों से कुछ लोग उकसाहट करते हुए आक्रामक रुख अख्तियार कर नेपाली भाषीयों को चीन से जोडकर कटाक्ष करने कि घटना करने से नहीं चुके। इसमे भारतिय मिडिया ने TRP के लिये गलत जानकारी जनमानस तक पहुँचाने में रत्तिभर संकोच नही् किया। चीन सहित भारतिय मिडिया ने भी बराबर कि अहम् भुमिका निर्वाह कि हुई है।
भारत सरकार से विन्रम अनुरोध है मीडिया पर भारत-नेपाल संबंध पर सच्चाई तो लाये किन्तु दोनों देश के नागरिक के अस्तित्व और मर्यादा को ध्यान में रखते हुये सकारात्मक मिडियाबाजी करें। गलत दुष्प्रचार होने से रोकें। हम प्रवासी नेपाली भाषी जन्मभुमि नेपाल और कर्मभुमी भारत से उतने ही प्यार भरोसा करते जितना ईश्वर से... नेपाल हमारी माँ है तो भारत मौसी...! वैसे ही भारत कि अवाम का सोच है।
भौगोलिक परिस्थिति से हमारे उत्तर में चीन दक्षिण में भारत है। प्रवासी नेपाली मजदुर सहित गोर्खा रेजिमेन्ट के लगभग ८०/९० लाख परिवार अपना भरणपोषण भारत के हीं सरजमीं से कमाते हैं। विशेषकर नेपाल के दलित समुदाय को तो मान-सम्मान सहित भारतमाता ने प्यार दुलार किया हुआ है। यह बात हर-एक दलित परिवार भली-भाँती जानता है।
भारत नेपाल सार्क मित्र राष्ट्र हैं। जहाँ मित्र शब्द और व्यवहार दिख रहा हो वहाँ दुश्मनी कभी भी नहीं हो सकती। भारत नेपाल भाई - भाई हैं। दोनों भाई आपस में किसी बातों पर मनमुटाव कर सकते हैं। विवाद कर सकते हैं। किन्तु दुश्मनी कतई नहीं हो सकता। हमारे सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनैतिक और सामाजिक पवित्र रिश्ते को भारत नेपाल के आम जनता को समझना जरुरी है। नेपाल का संबंध चीन के तुलना में हजारों गुणा भारत से बेहतर और मजबुत है। भारत पर किसी विदेशी ताकत ने दमन करने का प्रयास किया तो स्वदेशी नेपाली और प्रवासी नेपाली जमात भारत के साथ हैं। ऐसी ही उम्मीद भारतमाता के हर एक सपूत से वीर नेपाली (गोर्खा) करता है।
इस ब्लाँग से सन्मानिय संसद के प्रत्येक सन्मानिय सांसद, विधायक और भारत कि जनता से अपिल करते हैं नेपाली कभी गद्दार नहीं हो सकता। नेपाली मरते मर जायेगा किन्तु भारतमाता से बेईमानी नहीं करेगा...!
सन् १९६२ में भारत चीन युद्ध के दौरान भारतिय कम्युनिष्ट पार्टी ने और उनके काम्रेड लोगों ने चीन के समर्थन में भारत विरोधी नारा दिया था। उदाहर्णाथ काम्रेड स्व.ज्योती बसु...। आज नेपाल में कम्युनिष्ट शासन है। केपी शर्मा ओली कि कम्युनिष्ट सरकार है। चीन कम्युनिष्ट मुल्क होने के कारण प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली कि चीन को ओर झुकाव ज्यादा हो सकता है ! हर- एक फ्रन्ट पर चीन को सपोर्ट करते होगें ! किन्तु जनता जानती है चीन और भारत में अन्तर...!
भारत नेपाल ने समन्वय स्थापित कर आपसी सौहाद्र प्रगाढ करना चाहिये। भारत माता कि जय !! नेपाल माता कि जय !!