एक तरफ जहाँ महाराष्ट्र कोरोना संक्रमण के साथ पुरजोर लड़ रहा है। वहीं अब महाराष्ट्र शासन के इस अथक परिश्रम को अब WHO ने भी सराहा है। जी हाँ अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मुंबई के सबसे बड़े स्लम एरिया धारावी में कोरोनो वायरस ब्रेक के लिए तारीफ की है। यही नहीं अपने शब्दों में WHO ने कहा कि धारावी में कोरोना वायरस को रोकने के लिए किए गए अथक प्रयासों के चलते आज ये इलाका कोरोना से फ्री होने की कगार पर है।
WHO के महानिदेशक ट्रेडोस एडहानम गेब्रेयेसेसने कहा कि “दुनिया भर में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिन्होंने यह दिखाया है कि भले ही संक्रमण कितना भी अधिक हो, फिर भी उसे नियंत्रण में किया जा सकता है और इन उदाहरणों में से कुछ इटली, स्पेन और दक्षिण कोरिया, और यहां तक कि मुंबई की धारावी में भी हैं।”
अगर मुंबई की सबसे बड़ी मलिन बस्ती धारावी में बीते शुक्रवार की कोरोना संक्रमण की स्तिथि देखें तो संक्रम की संख्या बढ़कर 2,359 हो गई थी।हालांकि पिछले कुछ दिनों से इस क्षेत्र में कोविड-19 संबंधी मौतों की जानकारी देनी बंद कर दी है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के मुताबिक धारावी में इस समय 166 मरीजों का उपचार चल रहा है और 1,952 मरीजों को अब तक अस्पतालों से छुट्टी मिल चुकी है। आपको बता दें कि एशिया का सबसे बड़ा स्लम एरिया धारावी 2।5 वर्ग किलोमीटर में फैली है जहां छोटे-छोटे घरों में लगभग 6।5 लाख लोग रहते हैं।
WHO praises efforts to contain COVID-19 in Dharavi
— ANI Digital (@ani_digital) July 10, 2020
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क्या है धारावी मॉडल
जब धारावी में कोरोना संक्रमण का पहला केस अप्रैल को सामने आया तब सोच यह थी की मामला यहाँ बिगड़ सकता है। आंकड़ो के अनुसार यहाँ 80 प्रतिशत लोग सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। वहीं इस इलाके में एक छोटे से घर में 10 से 15 लोग रहते हैं। इसलिए न ही यहाँ होम आइसोलेशन किया जा सकता है और न ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकते हैं। इससे लड़ने के लिए ‘चेस द वायरस’ का अभियान शुरू हुआ जिसके तहत कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग, फीवर कैंप, लोगों को आइसोलेट करना और टेस्ट करना शुरू किया। स्कूल, कॉलेज को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया। वहां अच्छे डॉक्टर, नर्स और 3 टाइम अच्छा खाना दिया गया। रमजान के समय मुस्लिम लोगों को डर था, लेकिन क्वारंटीन सेंटर में बेहतर सुविधाओं को देखते हुए वे खुद ही सामने आते गए ।
हालाँकि धारावी में कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाना बड़ी चुनौती थी। इसलिए पूरा होमवर्क कर टीम तैयार की गयी। BMC के कुल 2450 लोग यहां काम कर रहे थे। इनमे अब सफाई वाला से लेकर पानी खोलनेवाला तक शामिल था। इसी तरह 1250 लोगों की मेडिकल टीम बंदोबस्त पर थी, जिसमें 12 से 13 डॉक्टर शामिल थे। सभी ने दिन-रात काम कर यहां कोरोना को हराने में अहम भूमिका निभाई।