दुनिया भर में कोरोना की स्थिति अजीब है। भले ही हम इसे रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमें यह नहीं बताया जाता है कि जीवन पूर्व स्थिति में कब आएगा? इस कठिन परिस्थिति में, उद्योगपतियों को अपने श्रमिकों को लावारिस नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि श्रमिकों का व्यवसाय स्थापित करने में बड़ा योगदान होता है। इसीलिए भले ही वेतन कुछ समय के लिए काट लें, चलेगा, लेकिन कर्मचारियों को नौकरी से न निकालें। मैं स्वयं इस संबंध में कुछ प्रबंधन से बात करूंगा। ऐसा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कल स्पष्ट किया।
भारतीय कामगार सेना के पदाधिकारियों से वीडियो कॉन्प्रâेंसिंग के माध्यम से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने उक्त बातें कही। इस अवसर पर उद्योगमंत्री सुभाष देसाई, परिवहन मंत्री अनिल परब, पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे, सांसद अनिल देसाई आदि भी वीडियो कॉन्प्रâेंसिंग में उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के मामले मुंबई और पुणे जैसे क्षेत्रों में बढ़ रहे हैं, लेकिन अप्रैल के अंत से हमने हरित और नारंगी क्षेत्र में उद्योगों को नियम व शर्तों के साथ शुरू करने की अनुमति दी है।
आज वहां कई उद्योग शुरू हुए और श्रमिक भी जुड़ गए हैं। पर्याप्त क्रय शक्ति की कमी अभी भी एक समस्या है, क्योंकि बाजार में कोई ग्राहक नहीं है लेकिन स्थिति में सुधार होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने कहीं भी माल वाहनों को नहीं रोका है, हमने मानव वाहनों को रोका है ताकि कोरोना का संक्रमण न फैले। हमें यह देखने की जरूरत है कि क्या हम प्रबंधन और श्रमिकों के बीच कोविड सतर्कता समितियां स्थापित कर सकते हैं? ताकि उद्योग में एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण तैयार किया जा सके, ऐसा मुख्यमंत्री ने कहा।
औद्योगिक कामगार ब्यूरो शुरू
इस अवसर पर उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि औद्योगिक श्रमिकों की नौकरी संबंधी शिकायतें अपेक्षाकृत कम हैं, लेकिन सेवा क्षेत्र में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उनके कारोबार में भी गिरावट आई है। कंपनियों और मालिकों के सामने कठिनाइयां हैं। लेकिन एक समझदार मालिक की भूमिका लेने की आवश्यकता है तभी श्रमिकों और कर्मचारियों का परिवार जीवित रहेगा। मालिकों के साथ लगातार संवाद करके रास्ता खोजा जा सकता है। हम कुशल, अकुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने के लिए देश में पहले औद्योगिक श्रमिक ब्यूरो का उद्घाटन कर रहे हैं, ऐसा देसाई ने कहा। इस अवसर पर भारतीय कामगार सेना अध्यक्ष सुर्यकांत महाडिक, अजित सालवी, मनोहर भिसे, विनोद घोसालकर, रघुनाथ कुचे, संजय कदम, विजय वालावलकर, मनोज धुमाल, जीवन कामत, उदय शेट्ये, प्रभाकर मते पाटील आदि ने भी अपने सुझाव दिए।