प्रचंड ने भारत और नेपाल के संवंध खराव कर्ना नहि चाहते हैं
भारत के साथ विवाद के बीच नेपाल की राजनीति में लगातार संकट छाया हुआ है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी पर लगातार संकट मंडरा रहा है। सदिऔ से भारत–नेपाल चल्ते आया हुवा रोटीबेटी का संवंध बिगार्न में तुले हुए नेपाल के प्रधानमन्त्री ओली का राजनीति पतनका रस्ता तय माना जाराह हैं।
चीन के डिजाइन मे भारतीय भुमी कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा अपने नक्सा में दिखानेवाले ओली यह समय पार्टी के भितरही संकट मे घिरे हुए है।
नेपाली कम्युनिष्ट पार्टी कार्यकारी अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल (प्रचंड), माधव नेपाल, बामदेव गौतम, झलनाथ खनाल और अन्य पार्टी के वरिष्ठ नेताने उनका तत्काल प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष से राजीनामा मागा हैं।
ओली निर्तित्व कि सरकार विफल होने के वाद नई नक्सा, नागरिकता को राष्ट्रवाद के साथ जोडके सत्ता मे टीके रहनेका भ्रपुर कोशीस मे जुटे हुए है। यह सब गतिविधिओ के वाद भी असफ होते हुए दिखरहे है।
ओली के राजीनामा भारत के साथ बनाए रख्ने के चाहतमे प्रचंड प्रधानमंत्री बन्ने के लाइन में सब्से आगे देखा जाराह हैं।प्रचंड ने भारत और नेपाल के संवंध खराव कर्ना नहि चाहते हैं। यहि कारण भी भारतीय राजनीति निर्तित्व के लिय प्रचंड प्रधानमंत्री होना खुश खबर है।