झांसी महोत्सव के तीसरा दिन मुक्ताकाशी मंच लोक गायिका मालिनी अवस्थी एवं वडाली बंधुओं की मधुर आवाज और शानदार प्रस्तुति का गवाह बना। भारी संख्या में उमड़े संगीत प्रेमियों ने कलाकारों का भरपूर स्वागत किया।
सोमवार को सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत वडाली बंधुओं के गायन के साथ हुई। सीनियर वडाली पूरनचंद ने अपने चिर परिचित अंदाज में पहले श्रोताओं को खुद से जोड़ा। उसके बाद पूरनचंद एवं लखविंदर की इस सुरीली जोड़ी ने महफिल को सुरों से सजाना शुरू किया। एक-एक करके उन्होंने अपने कई जाने-माने गीत गाए। दर्शकों ने उनसे छाप तिलक सब छीनी, मैं तो पिया से नैना लगा आई रे, खुसरो रैन सुहाग जैसे कई प्रसिद्घ सूफी गानों की गुजारिश की। वडाली बंधुओं ने श्रोताओं को निराश नहीं किया। अपने सबसे ज्यादा लोकप्रिय गाने तू माने या न माने दिलदारा, इक तू ही तू, ए रंगरेज भी उन्होंने चिर परिचित अंदाज में सुनाया।
सूफी संगीत के बाद मंच प्रसिद्घ लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने संभाला। मालिनी ने अवधी एवं बुंदेली की मिट्टी की खुशूब बिखेरी। भगवान राम के भजन के साथ मालिनी ने एक-एक करके कई गीत सुनाए। चैती, ठुमरी के साथ ही उन्होंने अपने कई जाने-माने गीत भी श्रोताओं की मांग पर सुनाए। इनमें सैयां मिले लरकईयां, रेलिया बैरन जैसे लोकगीत खास रहे। फागुन के लोकगीत गाकर उन्होंने रंग जमा दिया। श्रोताओं ने इन गीतों का भरपूर लुफ्त उठाया। देर रात तक दर्शक पंडाल में जमे रहे। इसके पहले जाने-माने सांस्कृतिक ग्रुप गीताजंलि के सदस्यों ने कई गीतों पर नृत्य प्रस्तुत करके दर्शकों की जमकर वाहवाही बटोरी। कार्यक्रम आरंभ होने से पहले कलाकारों का पुष्प गुच्छ के साथ स्वागत किया गया। इस दौरान तमाम प्रशासनिक अधिकारियों समेत शहर के तमाम गणमान्य लोग उपस्थित रहे।