कोरोना के इस काल में जिले के आमजनों के संस्मरणों को किताबों . स्वरूप दे दिया गया है। लाकडाउन कि इस अवधि में जिलाधिकारी संजीव सिंह ने समस्त जनपदवासियों से इस संक्रमण काल के अनुभव, संस्मरण और प्रेरणादायक कहानियां भेजने का आमंत्रण दिया था। जिसके बाद प्राप्त रचनाओं को लेखक एवं स्तम्भकार अमित राजपूत ने बतौर सम्पादक गद्य और पद्य की पुस्तकों का स्वरूप दिया।
शनिवार को कलक्ट्रेट के महात्मा गांधी सभागार में लेखक एवं स्तम्भकार अमित राजपूत ने गद्य और पद्य संकलन की पुस्तकों की पांडुलिपि जिलाधिकारी संजीव सिंह को सौंपी। जिन लोगो ने लाकडाउन के अपने अनुभव कविताओं स्वरूप में भेजे उनके संकलन को पद्य के रूप में 'जान है तो जहान है' नामक किताब में प्रकाशित किया जा रहा है।
इस किताब में 93 लोगों की 117 रचनाएं हैं। जिसमें से 19 महिलाएं हैं। इसी क्रम में गद्य में अपने संस्मरण और कहानियां भेजने वाले लोगों की रचनाओं की किताब को 'आरोपित एकांत- कोविड 19 के कोपाकुल काल का परिदृश्य' नाम दिया गया है। जिसमें 31 लोगों की 38 रचनाएं हैं। जिसमें 6 महिलाओं ने भी गद्य संकलन में अपनी जगह बनाई है।
लाकडाउन की अवधि में गद्य और पद्य की दो पुस्तकों का संपादन करने पर अमित राजपूत को जिलाधिकारी संजीव सिंह ने प्रशस्ति पत्र और एक रुपये का चेक बतौर प्रतीक एवं पारिश्रमिक दिया। डीएम ने बताया कि पांडुलिपियां प्राप्त हो गई हैं, अब इनके प्रकाशन के बाद पुस्तकों का विमोचन किया जाएगा।