आनेवाले दिनों में कोरोना के साथ जीवन कैसे जीना है। इसका होमवर्क आज से ही करना ही पडेगा। सरकार ने एक जुन तक लाकडाउन करते हुये भी बहुत जगहों पर भारी छुट दे रखी है। मुम्बई, पुणे जैसे महानगरों से प्रवासी मजदुरों को अपने पृतक घर जाने कि अनुमती और सवारी साधन भी सरकार मुहैया करा रही है। अब शहरों से लोग गाँव जायेंगे। उसमें से कितने लोग अपने घर में क्वारेन्टाइन होगें? या गाँव में इसके उसके घर मोहल्ले में घुमने लगेगें? कदाचित वो व्यक्ती कोरोना संक्रमित हो सकता है! उस व्यक्ती के संपर्क में आये हुये व्यक्ती को कोरोना संक्रमण कि संभावना बढ जाती है।
ग्रामिण हिस्सों में कोरोना तीब्रगति से फैल सकता है इसके भरपुर कारण हैं। ग्रामीण प्रभाग में आज भी प्रत्येक ५ व्यक्ती सैकडौं गाँववाले के संपर्क में आता है। वे व्यक्ती एक गाँव, एक कुटुम्ब, एक समुदाय, एक वर्ग या एक ही बस्ती के हो सकते हैं। वे लोग रोज कि तरह ही एक दुसरे के घर बिनाकारण टाईमपास करने गफ्फ करने एकत्रित होने लगेगें। गाँव के सभी युवक एकत्र होकर क्रीकेट या फिर अन्य खेल खेलेगें। कुछ लोग तो समय बिताने के नाम पर ताश के पत्ते तक खेलते दिखने मिलेगा।
आज भी गाँव में नित्य सामाजिक बैठक सार्वजनिक जगहों पर ही होती है। जहाँ पर गाँव के बडे बुजुर्ग लम्बे समय से सलाह मशवरा करते हुये दिखेगें। यहाँ तक तो ठिक है किन्तु छोटे बच्चे भी दुसरे साथी के घर में कब्जा जमाये बैठ जाते हैं। रोज नये बहाने बनाकर किसि न किसि के घर पहुँच ही जाते हैं। अभिभावक को अन्त में घर से बाहर अपने उम्रदराज के व्यक्ति से सोशल डिस्टेनडिङ्ग कि धज्जियाँ उडाते मिलना पडता है। एक व्यक्ती दुसरे के घर। दुसरा व्यक्ती तिसरे के घर। कोई भी सोशल डिस्टेनडिङ्ग को मान ही नहीं रहा है। कोई भी सतर्कता नहीं करते हैं। कारण कोई भी हो इस रोग कि गंभीरता जानना कोई नहीं चाहता।
यह रोग चौदह दिन बाद ही अपनी असली अवतार में आता है। अत: चौदह दिन क्वारेन्टाइन करना मतलब निगरानी करना है। इस रोग कि गंभीरता को समझना अत्यन्त जरुरी है। अगर यह रोग ग्रामीण क्षेत्र में फैल जाये तो इसे रोक पाना मुश्किल होगा। गाँव में शहर जैसे अस्पताल और जीवनदायिनी आधुनिक यन्त्र उपलब्ध कराना आसान नहीं होगा। ऐसे में सरकार भी तमाशबिन बन जाती है। इसलिए बार बार यह कहा जाता है आप अपने घर में ही सुरक्षित हैं । घर पर ही रहो। खुद बचो और औरौं को बचाओ। सोशल डिस्टेनडिङ्ग का पालन करो।
सरकार ने बनाये हुये बताये हुए सभी नियम में विशेष ध्यान दो। यदि कोई भी व्यक्ती शहर से गाँव आया है तो उसे तुरन्त गाँव के सरकारी प्रशासन में अपने आने कि सूचना देनी चाहिये। सार्वजनिक क्षेत्र में आने पर सभी नियमों का कडाई से पालन करना चाहिये। यदि कोई व्यक्ती सरकारी कर्मचारी हो जो ज्यादा से ज्यादा पब्लिक के संपर्क में आता हो उसे विशेष सावधानी बरतनी पडेगी।
जिस किसि व्यक्ती को गंभीर बिमारी हो जैसे हृदयरोग, मधुमेह, श्वास लेने में दिक्कत होती हो उमर भी ५० वर्ष से अधिक हो उन्हें तो घर से बाहर कदापि जाना ही मनाही है। अगर घरका कोई भी व्यक्ती अस्पताल में भर्ती हो तो उसे परिवार में से किसि एक ही व्यक्ती ने देखरेख करनी है। मरीज के साथ पक्षपात नहीं करनी है। उनकी देखभाल करनी है। उन्हें अछुत नहीं समझना है। बल्की और प्यार करना है। उनको भरोसा दिलाना है हम उनके साथ चौबिसों घन्टे सातों पहर हैं।
इस रोग का संक्रमण वयस्क लोगों को जल्द हो जाता है। छोटे बच्चों को भी दुसरे घर जाने से बचाना है। अगर हो सके तो कुछ दिनों तक घर में पुजापाठ धार्मिक कार्यक्रम करने से परहेज करें। खासकर ग्रामीण भागों के लोगों को सावधानी बरतनी होगी। अन्यथा पश्चाताप करने के लिये समय भी नहीं मिलेगा। धन शोहरत आज नहीं तो कल फिर कमायेगें पर परिवार बचाना प्राथमिकता होनी चाहिये। कोरोना जैसी महामारी से सभी को साझा लडना होगा। यह गाँव, परिवार, समुदाय विशेषकर देशहित में होगा।
-लेखक सामाजिक कार्यकर्ता हैं।