लिपुलेख-धाराचूला मार्ग के मुद्दे पर भारत और नेपाल में बयाबाजी जारी है। कुछ दिन पहले भारतीय सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने कहा था कि नेपाल किसी और के इशारे पर इस रास्ते का विरोध कर रहा है। अब नेपाल के रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल ने भारतीय सेना प्रमुख केे बयान की आलोचना की है। पोखरेल ने सोमवार को कहा- लिपुलेख मुद्दे पर भारतीय सेना प्रमुख का बयान हमारे देश के इतिहास का अपमान है। क्या भारतीय सेना प्रमुख का राजनीतिक बयान देना पेशेवर है?
भारत ने 8 मई को लिपुलेख-धाराचूला मार्ग का उद्घाटन किया था। नेपाल ने इसे एकतरफा फैसला बताते हुए आपत्ति जताई थी। भारत ने इसे खारिज कर दिया था।
नरवणे का बयान अपमानजनक
पोखरेल ने ‘द राइजिंग नेपाल’ अखबार को दिए इंटरव्यू में लिपूलेख मुद्दे पर सवालों के जवाब दिए। जनरल नरवणें के बयान पर कह, ‘‘ उनका बयान अपमानजनक है। नेपाल के इतिहास, सामाजिक विशेषता और स्वतंत्रता की अनदेखी की गई है। भारतीय सेना प्रमुख ने नेपाली गोरखा जवानों की भावनाओं को भी आहत किया है। वो भारत की रक्षा के लिए अपना जीवन दांव पर लगा देते हैं।’’
नेपाली सेना की मिसाल
नेपाल के रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘सेना प्रमुख का ऐसे राजनीतिक बयान देना कितना पेशेवर है? हमारे यहां ऐसा नहीं होता। नेपाली सेना ऐसे मामलों पर नहीं बोलती। नेपाल के एक करीबी और दोस्त के रूप में भारत को सकारात्मक प्रतक्रिया देनी चाहिए। जब बातचीत होगी तो हम स्पष्ट शब्दों में सब सामने रखेंगे। बातचीत दिमाग से नहीं बल्कि तथ्यों और सुबूतों के आधार की जाएगी।”
पिछले हफ्ते नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी कहा था कि दो पड़ोसी देशों के बीच सेना का बोलना सही नहीं है।