नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सोमवार को संसद के निचले सदन में अपना बहुमत साबित करने में असफल रहे। इसके साथ ही नेपाली संविधान के आधार पर उनके हाथ से PM पद चला गया है। पुष्पकमल दहल 'प्रचंड' नीत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के ओली सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद उन्हें निचले सदन में बहुमत साबित करना था। नेपाल में सोमवार को संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था।
राष्ट्रपति से विपक्षी दलों की अपील
संसद में बहुमत के लिए जरूरी 136 वोट न मिलने से ओली को बड़ा झटका लगा। उन्होंने बाद में कैबिनेट की एक बैठक भी की। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों- नेपाली कांग्रेस, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल( माओवादी केंद्र) और जनता समाज पार्टी के एक धड़े ने राष्ट्रपति भंडारी से अपील की कि नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू की जाए। उन्होंने भंडारी से आर्टिकल 76 (2) लागू करने की अपील की जिसमें स्पष्ट बहुमत न मिलने पर राष्ट्रपति को पीएम नियुक्त करने का अधिकार दिया गया है।
क्या फिर लौटेंगे PM?
इस दौरान पीएम ऐसा सदस्य होता है जो दो या ज्यादा पार्टियों का समर्थन जुटा सके। राष्ट्रपति भवन की ओर से जानकारी दी गई है कि भंडारी ने पार्टियों के नेताओं से आगे आकर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम गुरुवार रात 9 बजे तक देने के लिए कहा है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ओली के विपक्ष के पास भी पर्याप्त वोट नहीं हैं। ऐसे में मुमकिन है कि सबसे बड़ी पार्टी का नेता होने के चलते ओली को फिर से PM बना दिया जाए।